गाजियाबाद। नगर निगम में अब ‘नर्सरी माफिया’ भी सक्रिय हो गए हैं। उद्यान विभाग से पौधशालाओं (नर्सरियों) को लीज पर लेकर आवंटी उन्हें ठेके पर दे रहे हैं और घर बैठे मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। घर की खूबसूरती पर लाखों खर्च करने वालों के इस शहर में नर्सरियां बैठे-बैठाए मुनाफे का साधन बन गई है। निगम अधिकारियों की उदासीनता भी इस ‘खेल’ को बढ़ावा दे रही है।
नगर निगम ने पूर्व में ऐसे लोगों को रोड साइड पटरियों का आवंटन किया था, जो इस पेशे से जुड़े हुए थे। रोड साइड पटरी पर नर्सरी बनाकर वह न केवल नगर निगम को किराया देते हैं, बल्कि पटरियों को साफ-सुथरा भी रखते हैं। गाजियाबाद में धीरे-धीरे यह व्यवसाय मोटा मुनाफा देने वाला बन गया है। इसके बाद अब नगर निगम में भी ‘नर्सरी माफिया’ सक्रिय हो गए हैं। हालात यह है कि बड़ी-बड़ी गाड़ियों से चलने वाले लोगों ने भी सांठगांठ करके नगर निगम से नर्सरियों का आवंटन करा लिया है। इन नर्सरियों को संचालित करने का न तो उन्हें अनुभव है और न ही उनके स्टेटस के अनुसार यह काम है। इसके चलते अब उन्होंने नगर निगम से आवंटित नर्सरियों को दूसरे लोगों को किराए पर दे दिया है। इन नर्सरियों को 10 से 15 हजार रुपये प्रति माह के किराए पर दे दिया गया है, जबकि नगर निगम को 60 रुपये प्रति वर्ग मीटर सालाना की दर से किराया दिया जा रहा है। नियमों के मुताबिक सरकार से किराए या लीज पर आवंटित किसी भी संपत्ति को आवंटी अन्य व्यक्ति को ठेके पर नहीं दे सकता है।
एक-एक व्यक्ति ने अलग नामों से ले रखी हैं कई नर्सरी
उद्यान विभाग के सूत्रों के मुुताबिक बेहद कम किराया महज 60 रुपये प्रति वर्ग मीटर सालाना होने की वजह से एक-एक व्यक्ति ने अलग-अलग नामों से कई-कईं नर्सरियां आवंटित करा रखी है। इन नर्सरियों को 10 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह किराए पर देकर वह मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। निगम की ओर से जांच कराई जाए तो यह ‘नर्सरी माफिया’ बेनकाब हो सकते हैं।
पार्षदों ने भी खोला मोर्चा
नगर निगम की नर्सरियां ऐसे लोगों ने आवंटित करा ली हैं, जिन्हें उनकी जरूरत नहीं हैं। वह निगम की इन नर्सरियों को किराए पर देकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। इससे न केवल जरूरतमंद लोगों को नर्सरियां नहीं मिल पा रही हैं, बल्कि निगम को भी नुकसान हो रहा है। हमने नर्सरियों के मूल आवंटियों की बड़ी फोटो और मोबाइल नंबर नर्सरी के मुख्यद्वार पर प्रदर्शित करने की मांग की है। – राजीव शर्मा, भाजपा पार्षद
जिस जमीन पर नगर निगम बोर्ड पूर्व में पार्क विकसित करने का प्रस्ताव पास कर चुका था, उस पर भी निगम के उद्यान विभाग के अधिकारियों ने एक रसूखदार व्यक्ति के नाम पर नर्सरी आवंटित कर दी थी। विरोध करने पर अब निगम ने नर्सरी का आवंटन दूसरे स्थान पर किया। नर्सरियों को आवंटित कराने में खेल किया जा रहा है। – कृपाल सिंह, निगम पार्षद
कोट
पार्षदों ने नर्सरियों का आवंटन कराकर आगे किराए पर देने का मामला बोर्ड बैठक में उठाया था। इस मामले की जांच कराई जाएगी। ऐसा पाए जाने पर आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा। बोर्ड के निर्देेशों के अनुरूप ही काम किया जाएगा।-महेंद्र सिंह तंवर, नगरायुक्त-साभार-अमर उजाला
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