गाजियाबाद। विद्युत निगम में कैशबुक में फर्जी एंट्री करके 2.95 करोड़ के गबन का मामला सामने आया है। निगम के हेड कैशियर ने तीन महीने के अंतराल में यह गबन किया है। मामले की भनक लगने पर अधिशासी अभियंता ने जांच कराई तो खुलासा हुआ। करीब तीन करोड़ के इस घोटाले में अधिशासी अभियंता ने आरोपी हेड कैशियर के खिलाफ सिहानी गेट थाने में केस दर्ज कराया है। पावर कारपोरेशन ने उसे निलंबित कर दिया है। जांच जारी है। विभाग के सहायक लेखाकार की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है।
विद्युत वितरण निगम के सप्तम खंड पटेलनगर में हेड कैशियर के पद पर तैनात सुमित गुप्ता पर 295,44,551 रुपये के गबन का मामला दर्ज कराया गया है। सुमित ने कोरोना काल के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा जमा कराई गई बिजली बिल की राशि को कैशबुक में दर्ज करने में गड़बड़ी कर इस रकम को हड़प लिया गया। जुलाई से सितंबर तक के इस अंतराल में यह रकम हड़पी गई। मामले का खुलासा तब हुआ जब बैंक में जमा की गई रकम का मिलान किया गया। संदेह होने पर विद्युत वितरण निगम सप्तम पटेलनगर के अधिशासी अभियंता एसपी सिंह की ओर से अकाउंट विभाग के अन्य कैशियर से जांच कराई, जिसमें करीब तीन करोड़ रुपए के गबन का मामला सामने आया।
मामले में आरोपी हेड कैशियर सुमित गुप्ता से मोबाइल पर बात की गई तो उसने पहले तो आनाकानी की, लेकिन बाद में उसने पैसा जमा कराने की बात कहकर बचने का प्रयास किया। अधिकारियों के मुताबिक आरोपी की ओर सोमवार को कुछ पैसा जमा कराने को कहा गया था, लेकिन पैसा जमा नहीं कराया गया। अधिशासी अभियंता एसपी सिंह की ओर से सिहानी थाने में आरोपी हेड कैशियर सुमित गुप्ता के खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज कराया गया है साथ ही उसे सस्पेंड कर दिया गया है।
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लेखाधिकारी से जवाब तलब
अधिशासी अभियंता एसपी सिंह ने बताया कि चार दिन पहले ही मामला संज्ञान में आया। जिसके बाद लेखा विभाग से इसकी जांच कराई गई। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि सहायक लेखाधिकारी दीपक शर्मा के संज्ञान में यह मामला कुछ दिन पहले आ गया था, लेकिन उन्होंने जानकारी नहीं दी। कैश और बैंक खाते का मिलान करने की जिम्मेदारी भी सहायक लेखाकार की थी। इस लापरवाही पर उनसे भी जवाब मांगा गया है। मामले में उनकी संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।
विभागीय जांच शुरू, कुछ और भी हो सकते हैं शामिल
हेड कैशियर द्वारा गबन की राशि अधिक भी हो सकती है, जिसकी जांच की जा रही है। अधिकारी इस मामले में जांच कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत भी हो सकती है। जांच के बाद पूरी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
कोट
तीन माह के भीतर धीरे-धीरे गबन किया गया है। इस मामले में सहायक लेखाकार की भूमिका भी संदिग्ध है। उन्होंने भी अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया। अभी जांच चल रही है, जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी। पुलिस अधिकारियों ने गबन की गई रकम की रिकवरी कराने की कार्रवाई का आश्वासन दिया है। – एसपी सिंह, अधिशासी अभियंता, विद्युत निगम
मामला मेरे संज्ञान में आया है। इस मामले में कड़ी जांच की जा रही है। अन्य के खिलाफ मामला मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। – आरके राणा, मुख्य अभियंता, विद्युत वितरण निगम-साभार-अमर उजाला
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