भारत में तीन कंपनियों ने अपनी-अपनी कोरोना वैक्सीन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। अगले कुछ हफ्तों में उनमें से किसी न किसी वैक्सीन को मंजूरी भी मिल जाएगी। ऐसे में सरकार ने भी कोरोना वैक्सीनेशन के लिए तैयारियां भी तेज कर दी हैं। कौन-सी वैक्सीन मिलेगी, इसका जवाब जल्द ही सामने आएगा। पर उससे भी बड़ा सवाल यह है कि आपको वैक्सीन कब मिलेगी? केंद्र सरकार ने अपनी प्रायोरिटी लिस्ट जाहिर कर दी है, ताकि यह समझा जा सके कि आपको वैक्सीन कब मिलने वाली है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के मुताबिक केंद्र सरकार ने अगस्त में कोविड-19 के लिए वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन पर नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप (NEGVAC) बनाया था। इसने ही तय किया है कि कोविड-19 का वैक्सीनेशन किस तरह आगे बढ़ेगा, वैक्सीन की खरीद प्रक्रिया क्या होगी, वैक्सीन का चुनाव कैसे होगा, वैक्सीन की डिलीवरी कैसे होगी और ट्रैकिंग मैकेनिज्म क्या होगा? NEGVAC की सिफारिशों के आधार पर शुरुआती फेज में इन तीन ग्रुप्स को सबसे पहले वैक्सीनेट किया जाएगा…
1. एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स: इमसें स्वास्थ्य से जुड़े काम करने वाले सभी कर्मचारी शामिल रहेंगे।
2. दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स: इसमें केंद्र और राज्यों की पुलिस, आर्म्ड फोर्सेस, होमगार्ड्स, सिविल डिफेंस और डिजास्टर मैनेजमेंट वॉलंटियर्स, म्युनिसिपल वर्कर्स शामिल रहेंगे।
3. 27 करोड़ 50 साल से अधिक उम्र वाले: ऐसे लोग जिनकी उम्र 50 साल या उससे ज्यादा है उन्हें पहले वैक्सीन मिलेगी। साथ ही 50 वर्ष से कम उम्र के ऐसे लोग जो हाई-रिस्क कैटेगरी में आते हैं, यानी जिन्हें डाइबिटीज, ब्लड प्रेशर या अन्य बीमारियां हैं उन्हें भी पहले वैक्सीन दी जाएगी।
प्रायोरिटी ग्रुप्स में भी सबसे पहले किसे वैक्सीन लगेगी?
यदि आप इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं कि आपको वैक्सीन कब लगेगी तो आपके लिए यह समझना बेहद आवश्यक है कि सरकार की स्ट्रैटेजी पूरी तरह से WHO की गाइडलाइंस पर बेस्ड है। उसके आधार पर आप समझ सकते हैं कि आपको वैक्सीन कब मिलेगी। WHO ने प्रायरिटी ग्रुप्स में भी तीन स्टेज तय की है। इसके मुताबिक-
- स्टेज-1 में देश की आबादी की तुलना में 0-10% के लिए उपलब्धता के आधार पर सबसे पहले हेल्थकेयर वर्कर्स को वैक्सीन लगेगी। वे हाई से वेरी हाई रिस्क ग्रुप्स में आते हैं। सबसे ज्यादा एक्स्पोजर उन्हें ही हो रहा है। ट्रांसमिशन भी बढ़ा रहे हैं। एसिम्प्टोमेटिक होने पर भी वह ट्रांसमिशन फैला रहे हैं। इसी वजह से फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को सबसे आगे रखा जाएगा। इस स्टेज में बहुत अधिक उम्र वाले बुजुर्गों, जिन्हें सबसे अधिक खतरा है, को भी वैक्सीन लगाई जाएगी।
- स्टेज-2 में देश की आबादी की संख्या के लिहाज से 11-20% के लिए उपलब्धता के आधार पर वैक्सीन लगाई जाएगी। सबसे पहले वह बुजुर्ग शामिल होंगे, जो स्टेज-1 में कवर नहीं हो सके थे। इसके बाद इम्युनाइजेशन में सक्रिय हेल्थकेयर वर्कर्स, को-मॉर्बिडिटीज ग्रुप्स, लो-इनकम ग्रुप्स, स्लम्स में रहने वाले लोग और फिर टीचर्स व स्कूल स्टॉफ शामिल होगा।
- स्टेज-3 में यानी जब देश की आबादी की तुलना में 21-50% वैक्सीन उपलब्ध होगी तब बचे हुए टीचर्स और स्कूल स्टॉफ, हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर के बाहर के वर्कर्स, गर्भवती महिलाएं, कम से मध्यम आय वर्ग के हेल्थवर्कर और ऐसे ग्रुप्स जिनके लिए सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखना मुश्किल है, उन्हें वैक्सीन लगाई जाएगी।
जेंडर नहीं बनेगा वैक्सीनेशन का आधार
- WHO ने ग्रुप्स और ग्रुप्स के साइज के आधार पर प्रायरिटी तय करने को कहा है। पर अंतिम फैसला तो देश की सरकार ही लेगी। हमारे यहां NEGVAC ही वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन यानी प्रोडक्शन, खरीद, लॉजिस्टिकल, सप्लाई और लगाने तक की प्रक्रिया तय कर रहा है। वह ही तय करेगा, पर उसमें WHO की गाइडलाइन एक गाइडिंग फोर्स जैसा काम करेगी।
- गाइडलाइन कहती है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष इंफेक्ट भी ज्यादा हुए और उनकी मौतें भी बहुत हुई। पर वैक्सीनेशन में यह तथ्य मायने नहीं रखता। अक्सर बुजुर्गों की देखभाल महिलाओं के जिम्मे होती है। इतना ही नहीं प्रायमरी केयर का जिम्मा उनका ही होता है। सोशल स्टेटस, वित्तीय स्थिति के हिसाब से वह अस्पतालों से भी दूर रहती हैं। ऐसे में जेंडर को आधार बनाकर वैक्सीनेशन प्रोग्राम नहीं बनाया जाना चाहिए।
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