- इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) की मुंबई बैंच ने अपने हालिया आदेश में यह स्पष्ट किया है
- इससे कैपिटल गेन या लॉस का सही हिसाब लगाया जा सकेगा
इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) की मुंबई बैंच ने मकान की बिक्री से हुए कैपिटल गेंस पर लगने वाले टैक्स को लेकर अपने हालिया आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति अपना घर या फ्लैट बेचने के लिए कोई खर्च करता है तो ये पैसा भी मकान की लागत में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा मकान की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए किए गए खर्च को भी मकान की लागत में शामिल किया जा सकता है। इसे कैपिटल गेन नहीं माना जाएगा और आपको इस पर टैक्स छूट लेने का हक है।
कैपिटल गेंस पर लगता है 20% इनकम टैक्स
अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने के बाद 2 साल रखते हैं और फिर उसे बेचते हैं तो इससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाएगा। इस तरह की आमदनी पर आपको इंडेक्सेशन के लाभ के बाद 20% के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ेगा। ऐसे में बेचने वालों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि मकान खरीदी की लागत में आप क्या-क्या कर सकते हैं ताकि टैक्स बचा सकें।
क्या है मामला?
मामले के अनुसार करदाता ने अपने फ्लैट की बिक्री पर लॉन्ग टर्म कैपिटल लोस दिखाया था। इसमें उसने अपने मकान की कुल कीमत में वह पैसा भी शामिल किया था जो उसने मकान की मरम्मत या सुविधाओं को बढ़ाने के लिए खर्च किया था। ये रकम 9.4 लाख थी। करदाता इस पर भी लॉन्ग टर्म कैपिटल लोस का लाभ चाहता था। जिन सुविधाओं के लिए अतिरिक्त शुल्क का भुगतान किया गया था, उनमें टॉयलेट में स्पेशल वाटर प्रूफिंग, रसोई और दरवाजे व खिड़कियों पर किया गया था।
बिल्डर घर खरीदारों को विभिन्न सुविधाओं की पेशकश कर रहे
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने कहा कि बिल्डर घर खरीदारों को विभिन्न सुविधाओं की पेशकश कर रहे हैं, आमतौर पर इसके लिए आपको एक अतिरिक्त कीमत चुकानी पड़ती है। ये विशेष बाथरूम फिटिंग, मार्बल फ्लोरिंग, मॉड्यूलर किचन आदि से अलग होते हैं। ऐसे में करदाताओं को बाद में फ्लैट बेचते समय टैक्स छूट पाने के लिए मुकदमे से बचने के लिए एक सही तैयारी करके रखनी चाहिए। उन्हें सभी बिलों को संभलकर रखना चाहिए।
मकान बेचने से हुए नुकसान से दूसरे फायदे को कर सकते हैं एडजस्ट
अगर आप प्रॉपर्टी बेचने से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कमाते हैं तो आप इसे किसी अन्य संपत्ति पर हुए नुकसान से एडजस्ट भी कर सकते हैं। आवासीय संपत्ति से हुए कैपिटल लॉस को अगले 8 सालों तक कैरी फॉरवर्ड करके एडजस्ट किया जा सकता है। बिजनेस प्रॉपर्टी से हुए कैपिटल को अगले 4 सैलून तक कैरी फॉरवर्ड करके एडजस्ट किया जा सकता है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स से बचाने के लिए इसे अन्य प्रॉपर्टी के शॉर्ट टर्म लॉस से एडजस्ट कर सकते हैं।साभार-दैनिक भास्कर
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