Farmer Protest: किसानों के समर्थन में पंजाब के लेखक डॉ. मोहनजीत (Writer Dr Mohanjeet ), चिंतक डॉ. जसविंदर और पत्रकार स्वराजबीर ने अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड (Sahitya Academy Awards) लौटा दिए हैं.
चंडीगढ़/नई दिल्ली. कृषि कानूनों (Farm Law) के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का शुक्रवार को 9वां दिन है. आंदोलन के चलते दिल्ली बॉर्डर पर 9 पॉइंट पर ट्रैफिक बंद कर दिया गया है. इसी बीच किसान आंदोलन (Farmer Protest) के समर्थन में अवॉर्ड वापसी का सिलसिला अब भी जारी है. किसानों के समर्थन में पंजाब के लेखक डॉ. मोहनजीत (Writer Dr Mohanjeet ), चिंतक डॉ. जसविंदर और पत्रकार स्वराजबीर ने अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड (Sahitya Academy Awards) लौटा दिए हैं.
भारतीय साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का ऐलान करते हुए डॉ. जसविंदर सिंह ने कहा, ‘अगर कोई लेखक लोगों की आवाज़ को प्रस्तुत नहीं कर सकता है तो क्या बात है? मैंने पुरस्कारों के लिए लिखना शुरू नहीं किया था. केंद्र सरकार को किसानों के साथ निर्दयता से पेश आना और बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन करते देखना निराशाजनक है.’
If a writer can’t present people’s voice then what’s the point? I didn’t start writing for awards. It's disheartening to see Central govt dealing mercilessly with farmers & violating basic human rights: Novelist Dr Jaswinder Singh, on returning his Bhartiya Sahitya Akademi Award pic.twitter.com/JRI5tD1lHo
— ANI (@ANI) December 4, 2020
इससे पहले गुरुवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्मविभूषण अवॉर्ड लौटा दिया था. उनके अलावा राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने अपना पद्मश्री वापस करने का ऐलान किया था.
राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन की धमकी…
अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने यह भी कहा कि उनका संगठन शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेगा. उन्होंने एक बयान में कहा, ‘पिछले दिनों जब कृषि विधेयक पारित हुए थे तब हमने प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया था. ये तीनों काले कानून किसानों की मुसीबत बढ़ाने वाले हैं. इनसे सिर्फ पूंजीपतियों को फायदा होगा.’
अपनी मांग पर अड़े किसान
गुरुवार को केंद्र सरकार और किसान यूनियनों की बातचीत के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि आंदोलन अभी थमेगा नहीं, क्योंकि चौथे दौर की इस बातचीत में भी कई मसलों पर गतिरोध बना हुआ है. दिल्ली बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों पर अब भी अड़े हुए हैं.
केंद्र और किसानों के बीच 5वें दौर की बातचीत 5 दिसंबर को होनी है. क्रांतिकारी किसान यूनियन के लीडर दर्शनपाल ने कहा कि केंद्र कानूनों में कुछ सुधार पर राजी है, पर हम नहीं. हमने उन्हें बता दिया है कि पूरे कानून में ही खामी है.साभार- न्यूज़18
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