गाजियाबाद। लखनऊ नगर निगम के म्युनिसिपल बांड जारी करने के बाद अब जल्द ही गाजियाबाद नगर निगम भी म्युनिसिपल बांड जारी करेगा। बांड जारी करने वाला यह यूपी का दूसरा नगर निगम बनने की राह पर तेजी से दौड़ लगा रहा है। निगम के अधिकारी बांड जारी करने से पहले की अधिकांश औपचारिकता पूरी कर चुके हैं, दो साल की बैलेंस शीट भी तैयार हो चुकी है, अब तीसरे साल की बैलेंस शीट तैयार कराई जा रही है। नए साल की पहली तिमाही में गाजियाबाद नगर निगम भी बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) में लिस्ट हो सकता है। बांड जारी कर नगर निगम मार्केट से 150 करोड़ रुपये जुटाएगा।
वर्ष 2019 में कैबिनेट बैठक में सरकार से बांड जारी करने की मंजूरी मिलने के बाद गाजियाबाद और लखनऊ नगर निगम ने तैयारी शुरू कर दी थी। गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारियों ने कार्वी और एक अन्य संस्था के माध्यम से क्रेडिट रेटिंग भी करा ली थी। बांड जारी करने से पहले की तमाम औपचारिकताओं को पूरा कराने की प्रक्रिया में तीन साल की बैलेंस शीट भी तैयार कराई जा रही थी।
नगर निगम अधिकारी दो साल की बैलेंस शीट तैयार करा चुके हैं, एक साल की कराई जा रही है। इसके तैयार होते ही नगर निगम शासन को यह बैलेंस शीट भेजेगा। नगर निगम अधिकारियों ने बांड जारी करने के लिए ट्रस्टी भी नियुक्त कर दिया था। कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद लागू हुए लॉकडाउन में बांड जारी करने की प्रक्रिया बीच में रुक गई थी। अब लखनऊ नगर निगम की ओर से बुधवार को म्युनिसिपल बांड जारी कर दिए गए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) के कार्यालय में रिंगिंग बेल सेरेमनी में शामिल होकर नगर निगम को लिस्ट कराया। इसी सप्ताह नगर विकास मंत्री ने गाजियाबाद नगर निगम को भी जल्द से जल्द बांड जारी करने से पहले की प्रक्रिया को पूरा कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद नगर निगम के अधिकारी ऑडिट कराकर बैलेंस शीट तैयार कराने की प्रक्रिया में जुटे हैं। लखनऊ, गाजियाबाद के बाद अब सरकार ने आगरा, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी नगर निगम को भी म्युनिसिपल बांड जारी करने की अनुमति दे दी है।
लांग टर्म के लिए पैसा लेगा निगम
नगर निगम 10 साल के लिए मार्केट से 150 करोड़ रुपये लेगा। लेखा अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि इस रकम की वापसी छठे साल में शुरू होगी, लेकिन इस छह साल की अवधि में हर माह नगर निगम को ब्याज और मूलधन की रकम एक अलग खाते में जमा करनी होगी, ताकि छठे साल निवेशकों को रकम दी जा सके। यह रकम जुटाने के लिए नगर निगम को जमीन भी बंधक रखनी होगी। इस रकम को नगर निगम शहर में अवस्थापना सुविधाएं विकसित करने में करेगा।
नगर निगम कैसे करेगा 150 करोड़ रुपये की भरपाई
नगर निगम ने साहिबाबाद, लोनी, राजेंद्र नगर और श्यामपार्क समेत कई औद्योगिक क्षेत्र में सीवरेज के पानी को शोधित करके फैक्टरियों को बेचने की योजना बनाई है। इसके लिए टर्सरी प्लांट (तीन बार सीवरेज शोधित करने का प्लांट) इंदिरापुरम में लगाया जाएगा। इंदिरापुरम में नगर निगम को प्रतिदिन 76 एमएलडी सीवरेज मिलता है। इसको शोधित कर 40 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) उद्योगों को दिया जाएगा। इसकी एवज में नगर निगम उद्योगों से पानी का पैसा लेगा। इसके जरिए बाजार से जुटाए गए 150 करोड़ रुपयों की भरपाई होगी।
यह होते हैं म्युनिसिपल बांड
एक्सपर्ट्स के मुताबिक बांड लेटर ऑफ क्रेडिट भी कहा जाता है। इसके तहत आम लोगों या किन्हीं बड़ी संस्थाओं से पैसा जुटाया जाता है। बांड जारी करने वाला नगर निगम या अन्य कोई संस्था एक निश्चित अवधि के लिए रकम उधारी के तौर पर लेती है और तय ब्याज (रिटर्न) के साथ रकम को वापस करने की गारंटी भी देती है। नगर निगमों को शहर में विकास कार्य कराने के लिए बड़े स्तर पर फंड की आवश्यकता होती है। अभी तक उनकी निर्भरता सरकार पर होती थी, लेकिन बांड के जरिए पैसा जुटाकर नगर निगम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकते हैं। पैसा जुटाने के लिए यह बेहतर विकल्प हो सकता है। इस बांड के जरिए नगर निगम बाजार से जुटाई गई रकम को वापस भी अपने संसाधनों से ही करता है। कई अन्य राज्यों में नगर निगम कई वर्ष पहले म्युनिसिपल बांड जारी कर चुके हैं।साभार-अमर उजाला
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