शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ अध्यादेश लाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार अब करीब चार दशक पुरानी उस योजना को खत्म करने पर विचार कर रही है, जिसमें अंतरधार्मिक विवाह के लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान है।
मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल इस योजना के लाभार्थियों की संख्या 11 थी, जिन्हें 50-50 हजार रुपये दिए गए। हालांकि 2020 में अब तक किसी को इस योजना का लाभ नहीं मिला है, बल्कि इसके लिए चार आवेदन आए हैं, जो अभी लंबित हैं।
अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना 1976 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के राष्ट्रीय एकीकरण विभाग द्वारा लागू की गई थी। दशकों बाद जब उत्तराखंड को यूपी से बाहर किया गया, तो प्रोत्साहन योजना को बरकरार रखा गया। अब उत्तराखंड भी इस योजना से पीछे हट रहा है।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए अंतरधार्मिक शादी करने वाले दंपति को शादी के दो साल के भीतर जिला मजिस्ट्रेट के पास आवेदन करना होता था, जिसमें सत्यापन के बाद दंपति को एक मुश्त धनराशि प्रदान की जाती थी। 2017 में यूपी सरकार ने तय किया गया कि अगर अंतरधार्मिक शादी करने वालवे कपल शादी के बाद धर्म परिवर्तन कर लेते हैं तो उन्हें प्रोत्साहन राशि नहीं मिलेगी।
यहां उल्लेखनीय है कि यूपी कैबिनेट ने 24 नवंबर को लव जिहाद अध्यादेश को मंजूरी दी, जिसके तहत गैरकानूनी रूप से धर्मांतरण पर रोक का प्रावधान किया गया है। बाद में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी। नए कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति शादी के लिए जबरन धर्मांतरण का दोषी पाया जाता है तो उसे एक से पांच साल तक की कैद हो सकती है। इसके तहत अपराध गैर-जमानती होगा।
आपका साथ – इन खबरों के बारे आपकी क्या राय है। हमें फेसबुक पर कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। शहर से लेकर देश तक की ताजा खबरें व वीडियो देखने लिए हमारे इस फेसबुक पेज को लाइक करें।
हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
Discussion about this post