साहिबाबाद। यूपी गेट पर पश्चिम यूपी के किसानों के साथ अब उत्तराखंड, पंजाब समेत अन्य राज्यों से भी किसान पहुंचने लगे हैं। सोमवार को दो सौ से अधिक संख्या में किसान अन्य राज्यों से यूपी गेट पहुंचे और आंदोलन में शामिल हो गए। उत्तराखंड से आए किसान अपने साथ भारी मात्रा में छह माह का राशन लेकर आए हैं। उनकी तरफ से किसानों के लिए लंगर लगाने के साथ ही भोजन की व्यवस्था की जा रही है।
सोमवार को उत्तराखंड के बाजपुर इलाके से सौ से अधिक संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली और कारों से यूपी गेट पहुंचे। किसान ट्रैक्टर ट्रॉली में करीब छह महीने का राशन लेकर आए हैं। यहां पहुंचते ही किसानों ने भट्टी चढ़ा दी। उन्होंने यहां मौजूद सभी किसानों के लिए भोजन तैयार किया और लंगर लगाया। किसान हरदयाल सिंह ने बताया कि उत्तराखंड से किसानों का अभी एक जत्था यहां पर पहुंचा है। रात तक दो जत्थे पहुंच जाएंगे। तीन तारीख तक उत्तराखंड से भी करीब एक से डेढ़ हजार किसान यूपी गेट पर पहुंचकर कृषि कानून का विरोध करेंगे।
उनका कहना है कि वह अपने साथ आठ से 10 ट्रैक्टर ट्रॉली में राशन लेकर आए है। जो कि करीब छह महीने तक चलेगा। दोनों वक्त यहां पर लंगर लगाया जाएगा। जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी, सभी किसान यहां पर डटें रहेंगे। वहीं पंजाब के गुरुदासपुर से भी करीब 70 से 80 किसान यूपी गेट पहुंचे। उन्होंने भी यहां पर भाकियू को अपना समर्थन दिया है। उधर, गुरुपर्व के उपलक्ष्य में सिख किसानों ने यूपी गेट पर प्रसाद तैयार करने के बाद गुरुनानक देव की प्रार्थना और फिर किसानों को बीच सड़क पर ही लंगर में प्रसाद भी ग्रहण कराया। यह सिलसिला यूपी गेट पर देर शाम तक चलता रहा।
किसानों का दर्द
– सरकार ने जो तीन नए कृषि कानून बनाए हैं, उन्हें वापस लिया जाए। सरकार किसानों की रोजी रोटी छीनना चाहती है। कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों को दरकिनार किया जा रहा है। सरकार नहीं मानती तो यहां पर डेरा लगाकर बैठे रहेंगे। प्रताप सिंह
– उत्तराखंड से भी किसान कृषि कानून के विरोध में एकजुट हो गए हैं। हमारे साथी भी यूपी गेट पर मंगलवार तक पहुंच जाएंगे। अभी सौ से अधिक किसान यहां पर पहुंच गए हैं। लोगों को लंगर खिलाने के साथ-साथ कृषि कानूनों का विरोध भी होगा। मुखतार सिंह
– स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट को आज तक लागू नहीं किया गया है। हम लोग छह माह का राशन लेकर यूपी गेट आए हैं। जब तक सरकार मांगे नहीं मानती हैं तब तक यहां विरोध करते रहेंगे। सरकार ने पूंजीपतियों के इशारे पर कृषि बिल पास किए हैं। महिपाल सिंह-साभार-अमर उजाला
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