गाजियाबाद। शहर को स्वच्छ बनाने के नाम पर जनता के पैसे को बर्बाद किया जा रहा है। नगर निगम ने 14वें वित्त आयोग के फंड से 90 लाख की कूड़े से खाद बनाने की मशीन तो खरीद ली, लेकिन 12 लाख रुपये खर्च कर बिजली का कनेक्शन नहीं ले पा रहा है। इसकी वजह से करीब 10 माह से यह मशीन धूल फांक रही है। निगम के अधिकारी इस मशीन को मोरटा स्थित सैनिटरी लैंडफिल साइट पर लगाकर जनरेटर से ट्रायल भी कर चुके, लेकिन ट्रायल के बाद इसे फिर से बंद कर दिया गया।
नगर निगम ने करीब 10 माह पूर्व 14वें वित्त आयोग के फंड से 90 लाख की यह मशीन खरीदी थी। चूंकि 14वें वित्त आयोग के फंड के प्रस्ताव अधिकारी खुद ही तैयार करते हैं और अवस्थापना की बैठक में इन पर चर्चा होती है। ऐसे में अधिकारियों की ओर से इस मशीन को खरीदने की स्वीकृति नगर निगम बोर्ड से नहीं ली गई। निगम ने यह मशीन खरीदी और कई माह तक नगर निगम के गोदाम में यह खड़ी रही। इस मशीन की उपयोगिता को लेकर सवाल उठने लगे तो करीब दो माह पूर्व नगर निगम ने 90 लाख की इस मशीन को मोरटा स्थित सैनिटरी लैंड फिल साइट पर लगा दिया। इसका ट्रॉयल कर संदेश दे दिया गया कि बस अब मशीन चलने ही वाली है और रोजाना 100 मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण कर खाद बनाई जाने लगेगी, लेकिन ट्रायल के दो माह बाद भी यह मशीन किसी शोपीस की तरह मोरटा लैंडफिल साइट पर खड़ी है।
इसलिए नहीं चल पा रही मशीन
मोरटा में नगर निगम के किराए के सैनिटरी लैंडफिल साइट पर बिजली कनेक्शन नहीं है। अधिकारियों ने इस मशीन के लिए 25 किलोवाट क्षमता का बिजली कनेक्शन लेने के लिए आवेदन किया है। इस कनेक्शन के लिए निगम को करीब 12 लाख रुपये पावर कारपोरेशन को देने होंगे। इस रकम का भुगतान नगर निगम नहीं कर पा रहा है। इसकी वजह से निगम को अभी बिजली कनेक्शन नहीं मिल पाया है और यही वजह है कि 90 लाख की मशीन धूल फांक रही है।
पांच करोड़ रुपये पहले भी बर्बाद कर चुका निगम
निगम पार्षदों, तत्कालीन महापौर और शहर की जनता को कूड़े से खाद बनाने का सब्जबाग दिखाकर नगर निगम अधिकारी इससे पहले भी जनता के 5 करोड़ रुपये बर्बाद कर चुके हैं। वर्ष 2016-17 में नगर निगम ने जल निगम की सीएंडडीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज) यूनिट के माध्यम से प्रताप विहार में प्लांट लगवाया था। गीले कचरे को सुखाने के लिए आरसीसी के तीन बड़े प्लेटफार्म बनवाए गए। मशीन लगी और फोटो सेशन अधिकारियों और तत्कालीन जनप्रतिनिधियों ने फोटो सेशन कराया, लेकिन प्लांट चार दिन भी न चल पाया। पांच करोड़ के इस प्लांट से पांच क्विंटल भी खाद तैयार न हो पाई। अब यह प्लांट पूरी तरह बेकार हो चुका है।
पार्षद बोले
निगम अधिकारी जनता के पैसों की बर्बादी कर रहे हैं। अगर जरूरत नहीं थी तो 90 लाख की मशीन क्यों खरीदी गई और अगर जरूरत थी तो एक साल से अब तक चालू क्यों नहीं की गई। संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। आगामी बोर्ड बैठक में मुद्दे को उठाएंगे।
मनोज चौधरी, निगम पार्षद
नगर निगम एक तरफ तो फंड की कमी बता रहा है, दूसरी तरफ पैसा बर्बाद किया जा रहा है। 90 लाख की मशीन में पैसा बर्बाद किए जाने का यह पहला मामला नहीं है। इस मशीन का जनता को फायदा नहीं मिला। यह पूछा जाएगा कि जब पहले भी कूड़े से खाद बनाने का प्रोजेक्ट फेल रहा तो दोबारा मशीन क्यों खरीदी गई।
जाकिर सैफी, कांग्रेस पार्षद दल के नेता
मशीन का ट्रायल हो चुका है। इसके लिए बिजली कनेक्शन लेने की प्रक्रिया चल रही है। कनेक्शन के लिए रकम का भुगतान करने की फाइल प्रक्रिया में है। तीन-चार दिन में बिजली कनेक्शन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। जल्द ही इस मशीन का संचालन शुरू हो जाएगा।
मनोज प्रभात, अधिशासी अभियंता वि.यां साभार-अमर उजाला
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