Law against Love Jihad: यूपी में बने नए कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को कम से कम 6 महीने और अधिकतम 3 साल तक जेल हो सकती है, साथ ही 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. वहीं धार्मिक पुजारी अगर उल्लंघन करेगा तो उसे 1 से 5 साल तक की सजा हो सकती है.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन (UP Governor Anandiben) ने योगी कैबिनेट (Yogi Cabinet) द्वारा पिछले दिनों ‘लव जिहाद’ (Love Jihad) के खिलाफ पास किए गए अवैध धर्मांतरण रोधी कानून के प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दे दी. योगी कैबिनेट से मंजूरी के बाद अध्यादेश राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए गया था. इस अध्यादेश के राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन करने के लिए अनुमति लेना आवश्यय हो गया है.
उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के तहत अगर किसी का अपना धर्म परिवर्तन करना है तो उस व्यक्ति को कम से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा विशेष रूप से अधिकृत अपर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रपत्र में ये घोषणा करनी होगी कि वह खुद और अपनी स्वतंत्र सहमति से, बिना किसी बल, उत्पीड़न, प्रलोभन आदि के अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है.
जो धार्मिक पुजारी किसी व्यक्ति का एक धर्म से अन्य धर्म में परिवर्तन करने लिए अनुष्ठान संपादित करेगा, इस संबंध में उसे भी तय प्रपत्र में नोटिस जिला मजिस्ट्रेट या उस जिला, जहां ऐसे अनुष्ठान संपादित किया जाना प्रस्तावित हो, के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा एक महीने पहले देगा.
जिला मजिस्ट्रेट इन दोनों सूचनाओं को प्रस्तावित धर्म परिवर्तन के वास्तविक आशय, प्रयोजन और कारण के संबंध में पुलिस के माध्यम से जांच कराएगा. उल्लंघन करने पर प्रस्तावित धर्म परिवर्तन का प्रभाव अवैध और शून्य हो जाएगा.
उल्लंघन करने पर मिलेगी सजा
यही नहीं प्रपत्र का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को कम से कम 6 महीने और अधिकतम 3 साल तक जेल हो सकती है, साथ ही कम से कम 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. वहीं कोई धार्मिक पुजारी, मौलवी आदि अगर अपने प्रपत्र का उल्लंघन करेगा, उसे कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है. वहीं कम से कम 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है.
राज्यपाल के अनुसार चूंकि राज्य में विधानमंडल सत्र में नहीं है और ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं, जिसके कारण उन्हें तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक हो गया है. इसलिए अब भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल इस अध्यादेश को प्रख्यापित करती हैं.साभार- न्यूज़18
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