गाजियाबाद। भ्रूण लिंग की जांच करने वाले गिरोह ने जिला महिला अस्पताल में ही एजेंटों का नेटवर्क खड़ा कर दिया है। अस्पताल का अल्ट्रासाउंड सेंटर बंद पड़ा है। यहां आने वाले मरीजों से महिला एजेंट बाहर अल्ट्रासाउंड कराने और साथ में लिंग जांच का भी सौदा करती हैं। अमर उजाला के स्टिंग ऑपरेशन में कुछ ऐसी ही महिलाएं खुलेआम दस से पंद्रह हजार रुपये में भ्रूण लिंग जांच का सौदा करते हुए कैमरे में कैद हुई हैं।
बुधवार को अमर उजाला टीम पड़ताल के लिए जिला महिला अस्पताल पहुंचीं तो वहां एक नहीं बल्कि तीन ऐसी महिलाएं मिलीं जिन्होंने पंद्रह हजार रुपये में लिंग परीक्षण की बात कही। रिपोर्टर ने अस्पताल में सेंटर बंद होने की बात कही तो तुरंत एक महिला पास आई और 600 रुपये मेें बाहर अल्ट्रासाउंड कराने की बात कही। महिला ने धीरे से कहा कि अगर भ्रूण लिंग की जांच करानी हो भी वह ही करा देगी। बस शर्त यह है कि सारी बात गोपनीय रखनी होगी और लिंग जांच का खर्च 15 हजार आएगा।
महिला ने कहा कि उसे तो बस थोड़ा सा कमीशन ही मिलता है बाकी फीस तो अल्ट्रासाउंड सेंटर वाले की है। जांच को कहां जाना है यह पूछने पर महिला ने कहा कि वह पहले पत्नी को लेकर आए और पंद्रह हजार रुपये लेते आएं, जगह वह खुद बता देगी। यह कहते हुए महिला ने कहा कि लो मेरे मोबाइल से अपने नंबर पर मिस्ड कॉल मार लो और नंबर सेव कर लो। जिला महिला अस्पताल परिसर में आधे घंटे के अंदर भ्रूण लिंग जांच का प्रस्ताव देने वाली तीन महिलाएं सामने आईं। इन सभी की वीडियो फुटेज और स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े सभी अहम साक्ष्य अमर उजाला टीम के पास मौजूद हैं।
केस-1
रिपोर्टर: मैडम अल्ट्रासांउड की जांच करानी है, अस्पताल में कहां पर होती है?
महिला: भैया अस्पताल में जांच नहीं हो रही हैं। मशीन खराब है। सभी बाहर करा रहे हैं।
रिपोर्टर: बाहर कितने में और कहां पर जांच होगी?
महिला: जांच कराने की टेंशन मत लो, वैसे तो 700 रुपये लगते हैं, 600 में करा दूंगी
रिपोर्टर: मैडम मेरी पत्नी छह महीने की गर्भवती है, लिंग परीक्षण कराना है?
महिला: देखो लिंग परीक्षण तो हो जाएगा, लेकिन उसके लिए पैसे होंगे बहुत सारे खर्च
रिपोर्टर: मैडम जी कितने पैसे खर्च हो जाएंगे ऐसे?
महिला: देखो 15 हजार रुपये लूंगी और जांच करा दूंगी, लेकिन उसके लिए साढ़े तीन महीने की गर्भवती होनी चाहिए।
रिपोर्टर: मैम मेरे पास दो बेटियां हैं कैसे करूं?
महिला: देख बेटा सुन, अब जो भगवान ने दे दिया है, उसे अपने पास रखना।
रिपोर्टर: मेरा छोटा भाई है उसकी पत्नी साढ़े तीन महीने की गर्भवती है
महिला: हां बेटा तू उसे लेकर आजा उसका हो जाएगा।
रिपोर्टर: कहां पर जांच कराओगी?
महिला: गाजियाबाद में ही जांच कराऊंगी
केस-2
रिपोर्ट: आंटी मुझे अपनी पत्नी का अल्ट्रासाउंड कराना है
महिला: हां बेटा हो जाएगा
रिपोर्टर: आंटी मेरी पत्नी को किसी ने बताया कि वहां कुछ महिला सस्ते में करा देती हैं?
महिला: 600 रुपये लेती हूं चल तू 500 दे देना है। तू चल तो सही। मेरा नंबर है तेरे पास, नहीं है तो तू मेरे फोन से मिस कॉल कर ले। मशीन में चीज सहीं आनी चाहिए 50, 100 रुपये से कोई फर्क न पड़ता है।
रिपोर्ट: आंटी मेरे छोटे भाई के दो बेटी हैं, अब वह साढ़े तीन महीने की गर्भवती है चेक हो सकता है?
महिला: देख बेटा उसका खर्चा बहुत डबल लगता है। कम से कम नौ हजार का मनकर चलिए, देख सुन मैं तेरा वैसे ही किसी से चेक करा दूंगी। अगर ना हो तो गारंटी है मेरी। 600 रुपये में ही करा दूंगी, उसकी जांच किसी और से करा दूंगी।
केस-3
रिपोर्टर: कल आया था यहां, पत्नी का अल्ट्रासाउंड कराना है?
महिला: अल्ट्रासाउंड अस्पताल में नहीं होते हैं, बाहर होते हैं।
रिपोर्टर: सही रेट बताओ कितने में करा दोगी?
महिला:अकेले जाओगे तो 800 रुपये ले लेगा। हम तो एनजीओ की तरफ से हैं तो 600 रुपये में कराते हैं।
रिपोर्टर: कौन सा एनजीओ है आपका?
महिला: ये इधर ही है, नसरतपुरा में यहीं है। अल्ट्रासाउंड तो यहीं हो जाएगा। चलो तुम्हारा 500 में करावा देंगे।
रिपोर्टर: अभी तो पत्नी को लेकर नहीं आया हूं।
महिला: चलो तो कोई बात नहीं कल में सुबह 10 बजे यहीं मिलूंगी, तुम लेकर आ जाना। मेरा नंबर ले लो।
रिपोर्टर: आप यहीं पर कर्मचारी हो?
महिला: हां हम यहीं पर रहते हैं।हमारे भैया अल्ट्रासाउंड का काम करते हैं। मेरी बहन भी यहीं पर ये ही काम करती है।
रिपोर्टर: तो आपको अल्ट्रासाउंड कराने का कमीशन मिलता होगा?
महिला दलाल: अरे हमें कोई कमीशन नहीं मिलेगा। हमें कौन कमीशन दे रहा है। मिठाई का डिब्बा दे जाते हैं।
रिपोर्टर: भ्रूण लिंग परीक्षण करा दोगी?
महिला: मैं नहीं कराती हूं, एक दूसरी महिला है उसका नंबर दे दूंगी। वह करा देगी, काम हो जाएगा पक्का।
अस्पताल से अल्ट्रासाउंड केंद्रों तक कमीशन
महिला अस्पताल में पिछले आठ महीने से अल्ट्रासाउंड जांच बंद होने के बाद प्रतिदिन अस्पताल परिसर में दस से पंद्रह आशा कार्यकत्री, रिटायर्ड महिला स्टाफ एवं अस्पताल में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी स्टाफ के अलावा बाहरी महिलाएं मौजूद रहती हैं, जो गर्भवती महिलाओं की जांच कराने के लिए अस्पताल के बाहर अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर ले जाती हैं और कमीशन लेकर जांच कराती हैं। इसमें जांच कराने वाले स्टाफ से लेकर डाक्टर तक की मिलीभगत रहती है। वहीं अस्पताल प्रबंधन द्वारा दावे किए जाते हैं कि जिन महिलाओं की जांच कराने की जरूरत पड़ती है, उन्हें जिला एमएमजी अस्पताल में जांच कराने के लिए भेजा जाता है।
कई अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर नहीं बैठते रेडियोलॉजिस्ट
जिले में कई केंद्र संचालित हैं जिन पर रेडियोलॉजिस्ट के नाम पंजीकरण तो है, लेकिन जांच करने वाले सिर्फ तकनीशियन या अप्रशिक्षित स्टाफ है। ऐसे में जांच रिपोर्ट पर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं। जिन केंद्रों पर रेडियोलॉजिस्ट बैठते हैं, वह कमीशन नहीं देते हैं तो वहां पर स्टाफ जांच कराने के लिए जाती भी नहीं हैं। सामान्य तौर प्राइवेट में जांच कराने पर 350 से 400 रुपये लगते हैं, लेकिन इन महिला के साथ जाने पर फीस डेढ़ से दो गुना बढ़ जाती है।
वर्जन….
अभी तक इस तरह का कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है। आशा का काम होता है गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाकर उपचार एवं टीकाकरण कराना। अगर, वह महिलाओं को सरकारी अस्पताल के स्थान पर प्राइवेट केंद्रों पर जांच कराने ले जा रही हैं तो मामले की जांच की जाएगी। दोषी मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लिंग परीक्षण का मामला गंभीर है। इन महिलाओं को पकड़कर पूछताछ करेंगे और संबंधित लिंग परीक्षण केंद्रों पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओ
अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच शुरू कराने के लिए तीन बार सीएमओ एवं शासन को पत्र लिख चुकी हूं। एक बार फिर रिमाइंडर भेजा जा रहा है। जल्द ही जांच शुरू कराई जाएगी। जिस महिला को जांच की जरूरत होती है उसे एमएमजी अस्पताल रेफर किया जाता है। अस्पताल परिसर में कुछ महिलाओं द्वारा बाहर ले जाकर जांच कराने की शिकायत मिली थी, उसके बाद से होम गार्डस नियुक्त किए गए हैं। अगर शिकायत है तो मैं स्वयं निरीक्षण करुंगी।
डा. संगीता गोयल, सीएमएस, महिला अस्पताल
भ्रूण लिंग जांच पर तीन साल की सजा का है प्रावधान
भ्रूण की लिंग जांच कराना कानूनी अपराध है। पहली बार भ्रूण जांच का दोषी पाए जाने पर तीन साल की सजा व 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। दूसरी बार पकड़े जाने पर डॉक्टर का पंजीकरण हमेशा के लिए निरस्त, एक लाख का जुर्माना और पांच साल की सजा सुनाई जा सकती है। इसके साथ ही लिंग परीक्षण को उकसाने वाले पति व परिवार के ऊपर भी तीन साल की सजा व 50 हजार रुपये जुर्माना लगाए जाने की व्यवस्था है।
मुखबिर योजना में पाएं एक लाख तक इनाम
कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सरकार की तरफ से मूखबिर योजना चलाई गई है। इसमें तीन किस्तों में एक लाख रुपया दिया जाता है। साथ ही सहायक को 40 हजार की पुरस्कार राशि दिए जाने का प्रावधान है। भ्रूण जांच में लिप्त चिकित्सक व अन्य लोगों के बारे में जानकारी संबंधित जिले के मजिस्ट्रेट, सीएमओ या फिर पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत गठित कमेटी को दे सकते हैं।साभार-अमर उजाला
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