खेती की तरफ हर किसी का रुझान बढ़ता जा रहा है लेकिन अब भी कुछ लोगों का मानना है कि महिलाएं खेती नहीं कर सकतीं। लेकिन हम इस बात से भलि-भांति परिचित हैं कि महिलाओं को हर क्षेत्र में अपनी भूमिका अदा करते हुये देखा जा रहा है। आज की यह कहानी एक ऐसी महिला की है जो जिन्होंने सिर्फ खेती ही नहीं किया बल्कि बंजर भूमि को हरा-भरा कर उससे लाखों का मुनाफा कमा रही हैं। आइए पढ़ते हैं इस महिला की कहानी।
आज हम जिस महिला की बात कर रहें हैं, उनका नाम संतोष देवी (Santosh Devi) है। इनकी शादी मात्र 15 साल की उम्र में राम करण से हुई। यह खेती में रुचि रखती थी और इनकी यह कोशिश थी कि खेती करें। इनके पति राम करण होमगार्ड की नौकरी कर अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। वही संतोष ने खेती करने का निश्चय कर खेती की शुरुआत कर दी। राम करण को सीकर (Sikar) के एक एग्रीकल्चर ऑफिसर ने यह सुझाव दिया कि वह खेती करें। इस दंपति ने 8 हजार रुपये में अपनी भैंस बेची और कमाई की बचत से कुछ पैसे इकट्ठे किए। फिर इन्होंने अनार के 200 पौधों को खरीदा। उन्होंने सिर्फ अनार के पौधे ही नहीं खरीदे बल्कि जो पैसे बचे उससे इन्होंने अपने खेत में जलाशयों की व्यवस्था की। संतोष ने यह निश्चय किया कि जहां पानी की कमी होगी वहां यह ड्रिप सिंचाई को अपनाकर खेती करेंगीं।
लेयर कटिंग और जैविक खाद का करतीं हैं उपयोग
इन्होंने वहां के किसानों से जानकारी ली और खुद के अनुभव को भी अपनाकर अपनी खेती जैविक उर्वरक के उपयोग के द्वारा शुरू की। इन्होंने लेयर कटिंग तकनीक को अपनाया उस तकनीक का कार्य नई शाखाओं को काटना और फिर उनसे फल उत्पादन करना है। इन्होंने लगातार तीन साल मेहनत किया और फिर इन्हें 2011 में सफलता हासिल हुई। उन्होंने जानकारी दी कि अगर हम आडु के पौधों को लगाएंगे तो इन्हें अधिकतर सिंचाई की जरूरत नहीं होती।
लगाएं कई फल
अब यह बाग की देखरेख और फल कैसे उत्पादन करना है, बहुत अच्छे तरीके से सीख चुकी थी। इन्होंने यह निश्चय किया कि यह अन्य फलों की खेती करें। इन्होंने मौसम्बी को लगाने के बारे में निश्चय किया क्योंकि अनार के बीच के पौधों की दूरी से अधिक खाली जगह रह रहा था तो इन्होंने यह सोचा कि मैं इस खाली स्थान में मौसम्बी के पौधों को लगाऊं। फिर 150 मोसंबी के पौधों को लगाया और आगे चलकर नींबू बेल और किंवार भी लगाएं।
नहीं बेचती बिचौलियों को फल संतोष का यह मानना है कि हमारे देश के किसानों को उनके उत्पाद के अनुसार पैसे इसलिए नहीं मिलते क्योंकि बीच में बिचौलिए पड़ जाते हैं और उन्हें खुद फायदा हो जाता है। इस कारण हमारे किसान हानि के शिकार हो जाते हैं। इसीलिए यह मार्केटिंग नीति का उपयोग करती है और वे अपने उगाए हुए फल खेतों में ही ग्राहकों को बेचती हैं।
गांव के अन्य किसान ने किया यह खेती
इनकी खेती से मिली सफलता को देख इनके गांव के अन्य किसानों ने भी अनार की खेती करनी शुरू की। लेकिन वह इसमें असफल रहे। फिर वह मदद के लिए इस दंपति के पास आए। तब इन्हें यह जानकारी हासिल हुई की शुरुआत में इन्होंने जिस पौधों को अपने खेत में लगाया था वे उच्च गुणवत्ता के थे, इसलिए लग गए। फिर उन्होंने निश्चय किया कि वह नर्सरी का निर्माण करेंगे और इन्होंने अपने पौधों से ग्राफ्ट काटना प्रारंभ किया। वर्ष 2013 में “शेखावटी कृषि फार्म और नर्सरी” का शुभारंभ किया।
होता है अधिक लाभ यह फल उत्पादन करके अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। इनके एक अनार का वजन लगभग 700-800 ग्राम तक होता है और यह अपने अनार को 100 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचते हैं। प्रत्येक वर्ष इन्हें लगभग 10 लाख का मुनाफा सिर्फ अनार से होता है। जो भी अन्य फल हैं, उससे इन्हें लगभग 70 से 80 हजार लाभ मिले जाते हैं।
अपनी मेहनत से राजस्थान की बंजर जमीन पर अनार की खेती करने और अन्य किसानों को जागरूक करने के लिए The Logically संतोष की प्रशंसा करता है।
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