गाजियाबाद। दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा दमघोंटू हो चुकी है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में सबसे ज्यादा आज गाजियाबाद की वायु गुणवत्ता खराब है। गाजियाबाद के इंदिरापुरम में दोपहर तीन बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 999 दर्ज किया गया। यह खतरनाक स्तर में आता है।
बता दें कि आज सुबह ही गाजियाबाद में धुंध छाई हुई है। लोगों को सांस लेने में भी काफी परेशानी हो रही है। सांस के रोगियों के लिए गाजियाबाद की ये हवा जानलेवा है। इसमें पीएम 2.5 614 और पीएम 10- 999 दर्ज किया गया है।गाजियाबाद के वसुंधरा में एक्यूआई 661, नोएडा सेक्टर-62 में 796, दिल्ली के आनंद विहार में 672, झिलमिल में 572 और आरके पुरम में 506 दर्ज किया गया है।
हवा और मौसम से पड़ता है प्रभाव
अक्तूबर का महीना आते-आते उतर पश्चिम भारत से मानसून की लगभग वापसी हो जाती है। वहीं, गर्मी के मौसम में हवाओं का रुख पूर्व दिशा की ओर रहता है। ऐसे में बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाएं अपने साथ नमी लेकर आती हैं। इस वजह से जून से लेकर सितंबर तक बारिश देखने को मिलती है,लेकिन अक्तूबर महीने के बाद हवाओं का रुख पूर्व दिशा से उतर- पश्चिम दिशा की ओर हो जाता है। इसके साथ ही मानसून की भी पूरी तरह से विदाई हो जाती है। ऐसे में इस दिशा से आने वाली हवाएं अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कई बार राजस्थान से भी अपने साथ धूल लेकर चलती है। इस वजह से सर्दी के मौसम में राजधानी में प्रदूषण के तत्वों को बढ़ने में सहायता मिलती है।
तापमान भी है महत्वपूर्ण कारक
राजधानी में प्रदूषण के बढ़ने में तापमान भी महत्वपूर्ण कारक है। हवा के रुख के बदलने के साथ इन दिनों तापमान में भी गिरावट दर्ज की जाती है। इसका सीधे तौर पर असर वेंटिलेशन इंटेक्स पर पड़ता है। ऐसे में यदि वेंटिलेशन इंडेक्स छह हजार वर्ग मीटर प्रति सेकंड और 10 किलोमीटर प्रति घंटे से कम हवाओं के साथ होता है तो इससे प्रदूषण को बढ़ने में मदद मिलती है।
यही वजह है कि तापमान में गिरावट दर्ज होने के साथ वेंटिलेशन इंडेक्स भी घट जाता है। स्काईमेट वेदर के प्रमुख वैज्ञानिक महेश पलावत ने बताया कि गर्मी के मौसम में हवा गर्म व हल्की होती है। इस वजह से प्रदूषण के तत्व उड़ जाते हैं, वहीं सर्दी के मौसम में हवा के ठंडी और भारी होने के कारण प्रदूषण के तत्व हवा में जम जाते हैं। जिस वजह से प्रदूषण के तत्व हवा के निचले स्तर पर जमे रहते हैं। वहीं, हवा की अधिक गति न होने की वजह से भी प्रदूषण तत्व दिल्ली को प्रदूषित करने का काम करते हैं।
वाहनों का प्रदूषण भी जिम्मेदार
राजधानी में प्रदूषण के लिए न सिर्फ मौसम और हवा जिम्मेदार हैं वरन वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषण भी इसके लिए बराबर भागीदार माना जाता है। इस संबंध में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य डॉक्टर एसएन त्रिपाठी बताते हैं कि राजधानी में वाहनों का प्रदूषण ही करीब 16 फीसदी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है।
उन्होंने बताया कि हालांकि, इस दिशा में सरकार द्वारा वाहनों के बीएस6 इंजन को लाया गया है। जिससे कुछ हद तक प्रदूषण पर कमी पाई जा सकती है, लेकिन यदि सभी वाहनों को बीएस6 कर दिया जाए तो वाहनों से होने वाले 15 फ़ीसदी प्रदूषण को करीब आधा तक किया जा सकता है। वहीं, इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषण भी इसके लिए बराबर जिम्मेदार है।साभार-अमर उजाला
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