गाजियाबाद नगर निगम के अफसरों ने मांगे 40 लाख के प्रस्ताव-पार्षद बोले-बोर्ड बैठक हो

गाजियाबाद। कोरोना के नाम पर इस साल शहर का विकास ठप हो गया। आठ माह से नगर निगम में न तो कार्यकारिणी समिति की बैठक हुई और न ही बोर्ड मीटिंग बुलाई गई। बैठक न होने से इस साल वार्ड कोटा भी निर्धारित नहीं हो पाया। वार्डों में विकास का पहिया थम जाने से पार्षद भी परेशान हैं। अधिकारियों ने अब पार्षदों से 40-40 लाख के कार्यों के प्रस्ताव मांगे हैं लेकिन यह कोटा बीते साल का है। इस साल का वार्ड कोटा शून्य हो गया है। ऐसे में अब पार्षदों ने कार्यकारिणी समिति या बोर्ड बैठक बुलाए जाने की मांग की है।

महापौर ने फरवरी में बोर्ड बैठक बुलाई थी। विधान परिषद के सत्र चलने के दौरान बुलाई गई यह बैठक विवादों में आने के बाद शून्य घोषित कर दी गई थी। इसके बाद मार्च के अंतिम सप्ताह से लॉकडाउन लागू हो गया। हालांकि अब अनलॉक में प्रदेश के कई नगर निगम और पालिकाओं में बोर्ड की बैठक बुलाई जा चुकी है लेकिन गाजियाबाद में फरवरी के बाद से बैठक नहीं हुई है। इससे वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए नए विकास कार्यों को भी स्वीकृति नहीं मिल पाई है। पार्षद भी बैठक का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं लेकिन महापौर ने अभी बैठक नहीं बुलाई है। ऐसे में अब सभी दलों के पार्षद दल नेता महापौर से बैठक बुलाने की मांग को लेकर मुलाकात करेंगे। उन्होंने भी लंबे समय से बैठक न बुलाए जाने पर नाराजगी जताई है।

दो साल से आमदनी व खर्च का ब्यौरा नहीं मिला सदन को
मार्च के अंत में या अप्रैल के पहले सप्ताह में निगम का बजट पेश होना था। इस बजट बैठक में नगर निगम के अधिकारी 2019-20 में हुई आमदनी और खर्च का ब्यौरा पेश करते। मौजूदा वर्ष 2020-21 का नया बजट भी पेश किया जाना था लेकिन कोरोना से हुए लॉकडाउन से बजट पेश नहीं हो पाया।

निगम अधिकारियों का दावा है कि महापौर ने बोर्ड की प्रत्याशा में बजट को स्वीकृति दे दी थी। ऐसे में अफसर तभी से उसी बजट के आधार पर खर्चा कर रहे हैं। कोरोना काल में नगर निगम ने सोडियम हाइपोक्लोराइड के छिड़काव, साफ-सफाई पर कितना पैसा खर्च किया है, इसका ब्यौरा भी पार्षदों को नहीं मिला है। पार्षदों का कहना है कि अक्तूबर में अब तक पुनरीक्षित बजट भी पेश किया जाना चाहिए था लेकिन अभी भी बैठक नहीं बुलाई जा रही है।

पार्षद बोले

निगम की बोर्ड बैठक बुलाना किसी के विवेक पर निर्भर नहीं करता। हर माह एक कार्यकारिणी समिति की और दो माह में एक बोर्ड की बैठक अनिवार्य है। निगम अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नीतिगत निर्णय ले रहे हैं, यह गलत है। शांति नगर और सिहानी में वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट के मुद्दे पर भी बोर्ड की राय अधिकारियों को जाननी चाहिए थी।
– राजेंद्र त्यागी, भाजपा पार्षद
जब विधानसभा और लोकसभा के सत्र बुलाए जा सकते हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग के साथ नगर निगम की बैठक भी बुलाई जा सकती है। एक तरफ तो महापौर और नगरायुक्त 100 लोगों को बुलाकर जनचौपाल लगा रहे हैं, दूसरी ओर 12 सदस्यों की कार्यकारिणी बैठक नहीं बुलाई जा रही है। यह गलत है।
– मनोज चौधरी, कांग्रेस पार्षद
बैठक न बुलाए जाने के लिए कोरोना संक्रमण का बहाना लिया जा रहा है। महापौर चाहे तो कार्यकारिणी समिति की बैठक निगम के हॉल में और सदन की बैठक निगम मुख्यालय के पार्क में बुला सकती हैं। महापौर को ज्ञापन देकर बैठक बुलाने की मांग करेंगे, जरूरत पड़ी तो धरना भी देंगे।
– आनंद चौधरी, बसपा पार्षद दल नेता
इस साल वार्ड कोटा शून्य कर दिया गया है। बैठक ही नहीं बुलाई जा रही तो वार्ड कोटे पर भी चर्चा नहीं हो पाई। वार्डों में लोग पार्षदों से समस्याओं को लेकर शिकायत कर रहे हैं लेकिन पार्षद किससे शिकायत करें। बैठक तत्काल बुलाई जानी चाहिए।
– मो. कल्लन, सपा पार्षद दल के नेता
मेयर बोलीं
नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी। फिलहाल कोरोना संक्रमण की वजह से बोर्ड बैठक तो नहीं बुलाई जा सकती है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ 110 पार्षदों को एक सभागार में बैठा पाना संभव नहीं है। कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाने के लिए जल्द ही अधिकारियों से वार्ता करूंगी। – आशा शर्मा, महापौर , साभार अमर उजाला

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