दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण में एक बड़ी भूमिका कोविड-19 महामारी की है। हालांकि एक अध्ययन के अनुसार इसी महामारी की वजह से इस साल अप्रैल में दिल्ली का प्रदूषण अपने निम्नतम स्तर पर चला गया था। यह तब हुआ था जब कोरोना की वजह से संपूर्ण लॉकडाउन हो गया था।
अब जब लॉकडाउन धीरे-धीरे खुल चुका है लेकिन कोरोना का संक्रमण कम नहीं हुआ है, ऐसे में लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करने के बजाय अपने वाहन ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं और यही दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की एक बड़ी वजह है।
गाड़ियों से निकलने वाला धुआं और धीमी हवा के चलते दिल्ली-एनसीआर के वातावरण में प्रदूषक तत्व इकट्ठे हो रहे हैं और प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। बता दें कि दिल्ली के साथ ही गुरुवार को गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर रिकार्ड की गई थी।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल बढ़ा लेकिन नाकाफी
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बात करें तो दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने जो आंकड़ा जारी किया है उसके अनुसार बीते 15 दिनों में मेट्रो के यात्रियों की संख्या में 78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मेट्रो के प्रवक्ता का कहना है, यद्यपि मेट्रो के राइडरशिप में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन यात्रियों की संख्या कोरोनाकाल से पहले वाली स्थिति में पहुंचने में अभी कुछ महीने और लगेंगे।
इसी तरह डीटीसी ने भी अपने यात्रियों की संख्या में गिरावट दर्ज की है। दिल्ली के यातायात मंत्री कैलाश गहलोत के अनुसार पिछले हफ्ते कोरोना के चलते बस की राइडरशिप में 54 प्रतिशत की गिरावट आई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि अभी बसों में सिर्फ 50 प्रतिशत यात्रियों को सफर करने की ही अनुमति है।
सड़कों पर निजी वाहन बढ़ना हवा खराब होने का बड़ा कारण
एक ओर जहां अब भी बहुत से लोग घर से काम कर रहे हैं उसके बाद भी दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ना शुरू हो गया है। अगर गूगल की कम्यूनिटी मोबिलिटी ट्रेंड्स का डाटा देखें तो इस समय दिल्ली की सड़कों पर जो ट्रैफिक है वह कोरोना काल से पहले(3 जनवरी से 6 फरवरी के बीच) से सिर्फ 30 प्रतिशत ही कम है। जबकि अगस्त में दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक 67 प्रतिशत तक कम था और अप्रैल में यह 80 प्रतिशत तक कम था।
वर्क फ्रॉम होम से घट सकता है प्रदूषण
आठ जून तक जब अनलॉक शुरू हुआ तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट कम होने के चलते वाहनों की बिक्री में भी उछाल आया। सोसायटी फॉर मैन्यूफैक्चरिंग (एसआईएएम) के आंकड़ों के अनुसार अगर पिछले साल से तुलना करें तो दिल्ली में कार और दो पहिया वाहनों की बिक्री में अनलॉक के दौरान वृद्धि हुई है। वहीं पूरे देश के आंकड़ों में अगस्त महीने में 14.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के चलते बदली हुई परिस्थिति में लोग शेयर वाहन की जगह निजी वाहन को तरजीह दे रहे हैं और आगे भी देंगे। वहीं आईआईटी कानपुर के एक वैज्ञानिक का कहना है कि दिल्ली की खराब हवा का एक बड़ा कारण ज्यादा वाहनों का सड़क पर होना है। जितने ज्यादा वाहन सड़क पर होंगे दिल्ली में प्रदूषण उतना ही बढ़ेगा क्योंकि इस वक्त हवा की रफ्तार भी धीमी है।
बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सर्दियों में वर्क फ्रॉम होम को मिले बढ़ावा
वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दो-तीन दिनों में कुछ राहत जरूर मिल सकती है क्योंकि हवा की गति में सुधार होगा। लेकिन दिल्ली की हवा फिर से खराब होगी जो नवंबर तक चलेगी। दिवाली प्रदूषण में और बढ़ोतरी कर सकता है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि हम लोगों को कोविड के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट ज्यादा इस्तेमाल करने के लिए तो नहीं कह सकते लेकिन उन्हें वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा जा सकता है। इसी से सर्दियों में बढ़ने वाले प्रदूषण को रोका जा सकेगा।साभार – अमर उजाला
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