पटना, जेएनएन। बिहार में विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस में पनपा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा। प्रदेश अध्यक्ष रह चुके दो दिग्गजों की नाराजगी के बाद अब जाले विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार को लेकर नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। वहां कांग्रेस ने डॉ. मश्कूर उस्मानी को टिकट दिया है, जो टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थक रहे हैं। दरभंगा जिला में जाले से टिकट की दावेदारी कर रहे ऋषि मिश्रा आगबबूला हैं। मश्कूर को जिन्नावादी बताते हुए उन्होंने पार्टी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है।
रुख-रवैये पर लगातार उठ रहे सवाल
दरअसल, कांग्रेस के रुख-रवैये पर उसके ही नेताओं द्वारा लगातार सवाल उठाए जा रहे। पहले चरण के टिकट वितरण के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा ने सवाल उठाया था और दूसरे चरण के उम्मीदवारों के संदर्भ में बिहार कांग्रेस की कमान संभाल चुके चंदन बागची ने नाराजगी सार्वजनिक की है। इस कड़ी में ऋषि मिश्रा का भी नाम जुड़ गया है। जाले विधानसभा क्षेत्र के लिए वादा करके टिकट नहीं देने का आरोप लगाते हुए ऋषि ने पार्टी के कामकाज और प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा के रवैये पर कड़ा प्रहार किया है।
मिथिला और जाले की जनता रखती है गांधीवादी संस्कार
बकौल ऋषि, पार्टी ने टिकट के लिए मुझे आश्वस्त भी कर दिया था। मैं चुनाव की तैयारी कर रहा था, लेकिन अंत समय में जाले से एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दिया गया, जो जिन्ना का समर्थक है। प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा बताए कि गांधीवादी पार्टी का टिकट जिन्नावादी को क्यों दिया गया। मैं और मेरे परिवार ने हमेशा गांधीवादी विचारधारा का समर्थन किया है। बिहार, मिथिला और जाले की जनता भी गांधीवादी संस्कार रखती है। यहां एक सामाजिक समरसता और संस्कार हमेशा से बना रहा है। ऐसी पवित्र धरती पर एक जिन्नावादी को टिकट देना हमारे संस्कार और समाज का अपमान है। ऋषि ने पार्टी हाईकमान से आग्रह किया है कि जाले के प्रत्याशी पर पुनर्विचार कर किसी गांधीवादी को टिकट दिया जाए।
दरभंगा निवासी मश्कूर सीएए विरोधी प्रदर्शनों में रहे शामिल
दरभंगा जिला के रहने वाले मश्कूर उस्मानी सन् 2017 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। उसके अगले साल यानी 2018 छात्रसंघ के भवन में पाकिस्तान के संस्थापक अली मोहम्मद जिन्ना की तस्वीर पाई गई थी। हालांकि बयान देकर मश्कूर ने जिन्ना की विचारधारा से अपना पल्ला झाड़ लिया था, लेकिन दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के बाद विश्वविद्यालय में काफी हंगामा हुआ था। गौरतलब है कि मश्कूर का नाम नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों में भी सामने आया था। उन्होंने दरभंगा में भी सीएए विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया। उनका नाम दिल्ली दंगे में गिरफ्तार जेएनयू नेता उमर खालिद के सहयोगी के रूप में भी लिया जाता है। साभार-जागरण
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