जिन हाथों में प्रत्यंचा चढ़े कमान से निकलने वाले तीर लक्ष्य तक पहुंचते हैं वह हाथ सीमेंट बालू से भरा तसला उठाने को मजबूर हैं। रोहटा रोड पर रहने वाले देवेंद्र गागट की बेटी राष्ट्रीय तीरंदाज मनीषा इन दिनों आर्थिक तंगी में हैं।
मेरठ। जेएनएन। जिन हाथों में प्रत्यंचा चढ़े कमान से निकलने वाले तीर लक्ष्य तक पहुंचते हैं, वह हाथ सीमेंट, बालू से भरा तसला उठाने को मजबूर हैं। रोहटा रोड पर रहने वाले देवेंद्र गागट की बेटी राष्ट्रीय तीरंदाज मनीषा इन दिनों आर्थिक तंगी में हैं। इस खेल में मन और शरीर दोनों शांत रहना जरूरी हैं, तभी लक्ष्य भेदना आसान होता है। परिवार ने आर्थिक तंगी को मनीषा के पैरों की बेड़ी नहीं बनने दिया और खेल में प्रोत्साहित किया। बेशक, लाकडाउन में तंगी हुई तो उन्हें परिवार की मदद के लिए मजदूरी तक करनी पड़ रही है।
तीर-कमान जाने के बाद की है चिंता-
मनीषा के अनुसार, उन्होंने वर्ष 2015 में तीरंदाजी शुरू की। 2017 में अमृतसर में तीरंदाजी प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद गुरुनानक देव विश्वविद्यालय ने मदद का हाथ बढ़ाया। वहीं पर स्नातक में दाखिला दिलाया और तीरंदाजी के लिए आधुनिक कमान व तीर दिया। इससे प्रदर्शन में और सुधार आया। मनीषा अब तक चार राष्ट्रीय प्रतियोगिता, दो स्कूल नेशनल, दो ओपन नेशनल और खेलो इंडिया की दो प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं। प्रदेश व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतने के साथ ही मनीषा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में भी कांस्य पदक जीत चुकी हैं। अब उनकी स्नातक की पढ़ाई पूरी होने जा रही है। उन्हें विवि से मिला धनुष-बाण जमा कराना होगा। आर्थिक तंगी में जहां डाइट का खर्च उठाना महंगा पड़ रहा है वहीं, नया धनुष-बाण लेना उनके लिए संभव नहीं होगा।
पहले अभ्यास, फिर करतीं हैं मजदूरी-
मनीषा हर दिन सुबह घर से आठ किलोमीटर दूर स्थित कैलाश प्रकाश स्पोट्र्स स्टेडियम में छह बजे से साढ़े सात बजे तक तीरंदाजी का अभ्यास करतीं हैं। उसके बाद घर लौटकर मजदूरी करने जाती हैं। पहले वह सुबह-शाम तीन-तीन घंटे अभ्यास किया करती थी। शांत माहौल रहने के कारण कई बार स्टेडियम में तीरंदाजी के खिलाड़ी दिन में भी अभ्यास करते नजर आते थे, जिसमें मनीषा भी शामिल होती थी।
लोगों ने बढ़ाया मदद का हाथ-
मनीषा की पारिवारिक स्थिति और उनके हुनर को देखते हुए शहर के लोग भी मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं। शनिवार को कचहरी रोड स्थित निंबस बुक स्टोर में एडवोकेट राम कुमार शर्मा ने उन्हें 11 हजार रुपये की आर्थिक मदद की। प्रदेश व केंद्र सरकार से भी मनीषा की मदद की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने समाज के अन्य लोगों को भी जरूरतमंद खिलाडिय़ों के लिए मदद का हाथ आगे बढ़ाने का आह्वान किया है जिससे तंगी के कारण होनहार खिलाड़ी पीछे न छूट जाएं।
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