रामविलास पासवान का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया – मोदी ने दी श्रद्धांजलि

लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कल 74 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। पासवान के निधन पर उनके सम्मान में आज राजकीय शोक की घोषणा की गई है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आज आधा झुका रहेगा। आज सुबह 10 बजे उनके आवास 12 जनपथ पर रामविलास पासवान के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। यहां कई बड़े नेताओं समेत उनके प्रिय लोग श्रद्धांजलि दे सकेंगे।

बिहार चुनाव से पहले देश को एक बुरी खबर सुनने को मिली। भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता, लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कल 74 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। पासवान कई हफ्तों से दिल्ली के निजी अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की खबर बेटे चिराग पासावन ने ट्वीट कर दी। इस खबर के बाद राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया।

इस समय होंगे अंतिम दर्शन
रामविलास पासवान के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए आज सुबह 10 बजे उनके आवास 12 जनपथ पर रखा जाएगा। यहां कई बड़े नेता श्रद्धांजलि दे सकेंगे। इसके बाद उनके शव को दर्शनों के लिए दोपहर 2 बजे पटना ले जाया जाएगा। वहां पर उनका पार्थिव शरीर लोक जनशक्ति पार्टी कार्यालय में रखा जाएगा। वहां पर भी उनके प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे। शनिवार सुबह उनका पटना में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।

आज झुका रहेगा राष्ट्रीय ध्वज
रामविलास पासवान के निधन पर उनके सम्मान में आज राजकीय शोक की घोषणा की गई है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आज आधा झुका रहेगा। गुरुवार को केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने देर रात घोषणा की कि रामविलास पासवान के निधन पर उनके सम्मान में शुक्रवार को दिल्ली, सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में तिरंगा आधा झुका रहेगा। केन्द्रीय मंत्री का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया, ‘‘दिल्ली और राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों में, जहां हमेशा तिरंगा लहराता है, वहां नौ अक्टूबर को और उनके अंतिम संस्कार वाले दिन, जहां उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) आधा झुका रहेगा।

कई हफ्तों से अस्पताल में थे भर्ती
रामविलास पासवान कई सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। हाल ही में उनकी हार्ट सर्जरी हुई थी। फोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट की तरफ से जारी बयान के अनुसार, पिछले 24 घंटों में पासवान के स्वास्थ्य में गिरावट आई और गुरुवार को शाम छह बजकर पांच मिनट (06:05 शाम) पर उन्होंने अंतिम सांस ली।

पीएम मोदी ने जताया दुख
पासवान के निधन पर शोक जताते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘‘दुख बयान करने के लिए शब्द नहीं हैं। हमारे देश में ऐसा शून्य पैदा हुआ है जो शायद कभी नहीं भरेगा।’’ उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘श्री रामविलास पासवान जी का निधन व्यक्तिगत क्षति है। मैंने एक ऐसा मित्र और सहकर्मी खोया है जो पूरे जुनून के साथ हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहता था कि प्रत्येक गरीब व्यक्ति सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करे।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, “पासवान कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर राजनीति में ऊपर आए. युवा नेता के रूप में आपातकाल के दौरान उन्होंने निरंकुशता और हमारे लोकतंत्र पर प्रहार का विरोध किया था। वह उत्कृष्ट सांसद और मंत्री थे, जिन्होंने विभिन्न नीतिगत क्षेत्रों में चिरस्थायी योगदान दिया है.’’ पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘पासवान जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना अभूतपूर्व अनुभव था। मंत्रिमंडल की बैठकों के दौरान उनके हस्तक्षेप हमेशा गहन सोच वाले और व्यावहारिक हुआ करते थे। राजनीतिक बुद्धिमत्ता से लेकर सुशासन तक, वह हर बात में विलक्षण थे। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।’’

पासवान ने छह प्रधानमंत्रियों के साथ किया था काम
रामविलास पासवान आठ बार लोकसभा के सदस्य चुने गए और कई बार हाजीपुर संसदीय सीट से सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। वह वीपी सिंह, एचडी देवे गौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और वर्तमान में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे हैं। वह आठ बार लोकसभा के सदस्य चुने गए और कई बार हाजीपुर संसदीय सीट से सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। वह वीपी सिंह, एचडी देवे गौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और वर्तमान में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे हैं।

बिहार के दिग्गज नेता थे पासवान
साल 2005 में वो मौका आया जब बिहार की सत्ता की चाबी रामविलास पासवान के हाथ में आ गई। उस समय उनकी पार्टी के 29 विधायक जीतकर आए थे। किसी दल को बहुमत नहीं होने के कारण सरकार नहीं बन रही थी। पासवान अगर उस समय नीतीश कुमार के साथ या लालू प्रसाद के साथ जाते तो प्रदेश में सरकार बन सकती थी। मगर उन्होंने शर्त रख दी कि जो पार्टी अल्पसंख्यक को मुख्यमंत्री बनाएगी उसी का साथ वह देंगे। उनकी इस शर्त पर कोई खरा नहीं उतरा और दोबारा चुनाव में जाना पड़ा। बाद में उसी साल नवंबर में हुए चुनाव में नीतीश कुमार के अगुवाई में एनडीए को बहुमत मिला और सरकार बनाई।साभार -ए बी पी न्यूज़

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