गाजियाबाद पुलिस ने मानव तस्करों से 19 नेपाली बच्चों को मुक्त कराया, 4 तस्कर गिरफ्तार
चिकित्सा जांच के बाद बच्चों को बाल कल्याण समिति के हवाले कर दिया जाएगा।
विजय नगर थाना प्रभारी महावीर सिंह चौहान ने बताया कि मानव तस्करी रोधी कानून और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है।
गाजियाबाद पुलिस ने मंगलवार को 19 नेपाली बच्चों (नेपाली बच्चों) को मानव तस्करों से आजाद बनाया और मामले में एक महिला सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। विजय नगर थाना के प्रभारी महावीर सिंह चौहान (महावीर सिंह चौहान) ने बताया कि दिल्ली महिला आयोग से मिली सूचना के बाद गाजियाबाद पुलिस ने शहर के विजय नगर (विजय नगर) इलाके में नेपाल से बच्चों को लेकर आ रहे एक बस को नियमित किया और बच्चों को मुक्त कराया ।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने उत्तराखंड के बच्चों को लाने में संलिप्त एक महिला सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया। एक एनजीओ ने दिल्ली महिला आयोग को इस बारे में सूचना दी थी। पुलिस ने बताया कि घरेलू काम करवाने और उद्योगों में काम करने के इरादे से इन बच्चों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र लाया जा रहा था। विजय नगर थाना प्रभारी ने बताया कि मानव तस्करी रोधी कानून और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है। चिकित्सा जांच के बाद बच्चों को बाल कल्याण समिति के हवाले कर दिया जाएगा।
48 बच्चों को मुक्त कराया गया था-
बता दें कि बीते 19 सितंबर को बहिराईच में इसी तरह की खबर सामने आई थी। बहराइच जिले में पुलिस ने विभिन्न स्थानों पर छापे मार कर बाल श्रम (बाल श्रम) कर रहे 48 बच्चों को मुक्त कराया था। इन बच्चों से श्रमिक कर रहे लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराए गए थे। चाइल्ड लाइन- 1098 की संयोजक देवयानी ने शनिवार को बताया कि जिले के होटलों, प्रतिष्ठानों और अन्य स्थानों में आए दिन बाल मजदूरी करनाए जाने के मामले सामने आ रहे थे। लॉकडाउन व कोविड -19 महामारी के दौरान भी नेपाल (नेपाल) से बच्चों की तस्करी की खबरें आ रही थीं। इस पर पुलिस अधीक्षक निकासीाईच की निगरानी में चाईल्ड लाइन -1098, प्रशासन, श्रम विभाग, जिला प्रोबेशन विभाग और जिला बाल संरक्षण ईकाई के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार से बाल श्रम उन्मूलन अभियान शुरू किया गया।बाल श्रमिक छह से 18 वर्ष की आयु के हैं।
उन्होंने बताया कि अभियान के पहले ही दिन 48 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है। मुक्त कराये गये बाल श्रमिक छह से 18 वर्ष की आयु के हैं। उन्हें कोरोनावायरस संक्रमण की जांच और अन्य चिकित्सकीय जांच करवाकर बाल कल्याण समिति के माध्यम से परिजन को सौंपेंगे।
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