लॉकडाउन के दूसरे चरण में 2019 के स्तर की तुलना में पीएम 10 का स्तर गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद में लगभग 60 प्रतिशत तक कम पाया गया है। इस रिपोर्ट को सीपीसीबी के सदस्य सचिव प्रशांत गरगावा की देखरेख में तैयार किया गया है। आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर ने इस रिपोर्ट को तैयार करने में उल्लेखनीय सहयोग दिया है।
गौतमबुद्ध नगर। कोरोना के दौरान लागू लॉकडाउन एक शानदार सौगात ले कर आया है। लॉकडाउन की वजह से सड़कों पर आवाजाही बंद थी। हर तरह के निर्माण कार्य बंद थे और इंसानी गतिविधियों पर विराम लग गया था। इसका एक सकारात्मक नतीजा सामने आ रहा है। Central Pollution Control Board (सीपीसीबी) ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि लॉकडाउन की वजह से गौतमबुद्ध नगर के शहरी क्षेत्रों नोएडा, ग्रेटर नोएडा और पड़ोसी जनपद गाजियाबाद के वायु सूचकांक में बड़े स्तर पर सुधार दर्ज किया गया है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 46वें स्थापना दिवस पर एक डिजिटल समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें ‘परिवेशी वायु गुणवत्ता पर लॉकडाउन का प्रभाव’ रिपोर्ट जारी की गई। पर्यावरण राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने इस रिपोर्ट को जारी किया। उन्होंने वायु प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाने में योगदान के लिए सीपीसीबी की तारीफ की। इस रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान पीएम 2.5 में 24 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। लॉकडाउन के दूसरे चरणों के दौरान इसमें वर्ष 2019 के स्तर के मुकाबले तकरीबन 50 प्रतिशत की कमी रिपोर्ट की गई।
कार्यक्रम में बोलते हुए बाबुल सुप्रियो ने कहा कि सीपीसीबी पिछले चार दशकों से बहुत लगन से काम कर रहा है। इस संस्था ने देश में वायु प्रदूषण को रोकने में काफी अहम भूमिका निभाई है। इस संस्था ने एक आम नागरिक को वायु प्रदूषण के बारे में जागरूक किया है। सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व-लॉकडाउन चरण 1-21 मार्च, लॉकडाउन के पहले चरण 25 मार्च – 19 अप्रैल और लॉकडाउन के दूसरे चरण 20 अप्रैल – तीन मई तक की अवधि को शामिल किया है।
रिपोर्ट में ये कहा गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में वायु की गुणवत्ता के स्तर में शानदार सुधार दर्ज किया गया है। 2020 में लॉकडाउन से पहले की अवधि के दौरान भी हवा की गुणवत्ता के स्तर में सुधार हो रहा था। हालामंकि रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु गुणवत्ता में सुधार की एक बड़ी वजह मौसम है। हालांकि लॉकडाउन को भी एक प्रमुख वजह माना गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर(पीएम) के स्तर के संदर्भ में पीएम 2.5 में लॉकडाउन से पहले की अवधि के दौरान 24 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। लॉकडाउन के दोनों चरणों में इसमें लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई। 2019 में समान समयावधि के दौरान पीएम 10 में 60 फीसदी की भारी कमी हुई थी। इस दौरान एनओ2 के स्तर में 64 फीसदी और एसओ2 के स्तर में 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली से सटे ज्यादातर शहरों में लॉकडाउन के पहले चरण के दौरान पीएम2.5 और पीएम10 के स्तर में 50 फीसदी से अधिक की कमी पाई गई। गुरूग्राम में 61 फीसदी तक की कमी, जबकि गाजियाबाद में 2019 के स्तर की तुलना में पीएम2.5 के स्तर में 54 प्रतिशत की कमी रिपोर्ट की गई है।
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