स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि योग आयु की वृद्धि करता है। योग से मन शांत और बॉडी रिलैक्स होती है। योग सांसों पर नियंत्रण की कला है इससे मांसपेशियां भी टोन होती हैं।नियमित योग का अभ्यास करने से शरीर का तनाव और दर्द जाता रहता है।
योग से पहले ॐ का नाद करें। सुखासन में बैठे और आंखें बंदकर। सांसे अन्दर भरते हुए ओमकार का नाद करें और सांसे छोड़ते हुए आवाज को कम करें।
ग्रीवा शक्ति आसन:
ग्रीवा शक्ति आसन करने के लिए अपनी जगह पर खड़े हो जाएं। जो लोग खड़े होकर इस क्रिया को करने में असमर्थ हैं वे इसे बैठकर भी कर सकते हैं।जो जमीन पर नहीं बैठ सकते वे कुर्सी पर बैठकर भी इसका अभ्यास कर सकते हैं। कंफर्टेबल पोजीशन में खड़े होकर हाथों को कमर पर टिकाएं। शरीर को ढीला रखें। कंधों को पूरी तरह से रिलैक्स रखें। सांस छोड़ते हुए गर्दन को आगे की ओर लेकर आएं। चिन को लॉक करने की कोशिश करें। जिन लोगों को सर्वाइकल या गर्दन में दर्द की समस्या हो वह गर्दन को ढीला छोड़ें चिन लॉक न करें। इसके बाद सांस भरते हुए गर्दन को पीछे की ओर लेकर जाएं।
सूर्य नमस्कार (Surya Namaskār) :
सूर्य नमस्कार काफी लाभकारी है। इससे आपका शरीर और मन दोनों को काफी फायदा होगा और तनाव जाता रहेगा।
प्रणाम आसन:
प्रणाम आसन के लिए आप मैट पर पैर के दोनों पंजे जोड़कर खड़े हो जाएं। फिर दोनों हांथों को कंधे के बराबर में उठाएं और दोनों पैरों पर पूरा भार समान रूप से डालें। दोनों हथेलियों के पृष्ठभाग एक दूसरे से चिपकाए रहें और नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएं। आंखें बंद कर मन ही मन सूर्य का ध्यान करें।
हस्ततुन्नासन:
इस आसन को करने के लिए गहरी सांस भरें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। अब हाथ और कमर को झुकाते हुए दोनों भुजाओं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएं।
हस्तपाद आसन: इस आसन में बाहर की तरफ सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की तरफ नीचे की ओर झुकें। अपने दोनों हाथों को कानों के पास से घुमाते हुए ज़मीन को छूएं।
अश्व संचालन आसन:
इस आसन में अपनी हथेलियों को ज़मीन पर रखें, सांस लेते हुए दाएं पैर को पीछे की तरफ ले जाएं और बाएं पैर को घुटने की तरफ से मोड़ते हुए ऊपर रखें। गर्दन को ऊपर की तरफ उठाएं और कुछ देर इसी स्थिती में रहें।
पर्वत आसन:
इस आसने को करने के दौरान सांस लेते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाएं और पूरे शरीर को सीधी रेखा में रखें और अपने हाथ ज़मीन पर सीधे रखें।
अष्टांग नमस्कार:
इस आसन को करते वक्त अपने दोनों घुटने ज़मीन पर टिकाएं और सांस छोड़ें। अपने कूल्हों को पीछे ऊपर की ओर उठाएं और अपनी छाती और ठुड्डी को ज़मीन से छुआएं और कुछ देर इसी स्थिति में रहें।
भुजंग आसन:
इस आसन को करते वक्त धीरे-धीरे अपनी सांस छोड़ते हुए छाती को आगे की और ले जाएं। हाथों को ज़मीन पर सीधा रखें। गर्दन पीछे की ओर झुकाएं और दोनों पंजों को सीधा खड़ा रखें।
शवासन:
मैट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं और आंखें मूंद लीजिए। पैरों को आराम की मुद्रा में हल्का खोल कर रखें। पैर के तलवे और उंगलियां ऊपर की तरफ होनी चाहिए। हाथों को बगल में रखकर हथेलियों को ऊपर की तरफ खोलकर रखें। पैर से लेकर शरीर के हर भाग पर ध्यान केंद्रित करते हुए धीरे-धीरे सांस अन्दर बाहर करें। धीरे धीरे इसे कम करें। जब शरीर में राहत महसूस हो तो आंखों को बंद करके ही थोड़ी देर उसी मुद्रा में आराम करें।
कपालभारती करें:
पद्मासन लगाकर बैठ जाएं और कपालभारती करें. सांसे भरें सांसे बाहर छोड़ें. तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से सांस को यथासंभव बाहर फेंकें. साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करें। इसके तुरंत बाद नाक के दोनों छिद्रों से सांस को अंदर खीचतें हैं और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते हैं। इस क्रिया को शक्ति व आवश्यकतानुसार 50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते हैं। कपालभारती से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है, सांस संबंधी बीमारियों को दूर करमे में मदद मिलती है।विशेष रूप से अस्थमा के पेशेंट्स को खास लाभ होता है. महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी है।
हमारा न्यूज़ चैनल सबस्क्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
Follow us on Facebook http://facebook.com/HamaraGhaziabad
Follow us on Twitter http://twitter.com/HamaraGhaziabad
Discussion about this post