कोविड लेवल-2 अस्पताल में भर्ती कराने में लगे 8 घंटे से ज्यादा, कार्रवाई की संस्तुति

कोविड लेवल-1 अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज की अचानक तबीयत बिगड़ने पर लेवल-2 अस्पताल में भर्ती कराने में करीब 8 घंटे से अधिक समय लगने से मामला तूल पकड़ गया। शासन ने पूरे मामले में जिला प्रशासन ने रिपोर्ट तलब कर ली है। उधर, घटना से नाराज जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने स्वास्थ्य विभाग के दो सीनियर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति दी। मामले में शासन को डीओ लेटर लिखकर विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। ऐसे में अब जल्द ही मामले में बड़ी कार्रवाई हो सकती है। उधर, रविवार को समीक्षा बैठक में भी डीएम ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फटकार लगाई। अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि अगर कोई अन्य अधिकारी काम में लापरवाही या शिथिलता बरतता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई कर शासन को बताया जाएगा।
मरीज को इलाज न मिलने का मामला शुक्रवार का है। सुबह करीब 4 बजे मोदीनगर के कोविड लेवल-1 दिव्य ज्योति अस्पताल में भर्ती एक मरीज की तबीयत अचानक खराब हो गई। सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद वहां के इंचार्ज ने कोविड अस्पताल के नोडल ऑफिसर डॉ. नीरज अग्रवाल को कॉल की। डॉ. अग्रवाल ने कोविड एल-3 ( संतोष अस्पताल) के नोडल ऑफिसर को फोन किया लेकिन मोबाइल बंद होने के कारण संपर्क नहीं हो पाया। इसके बाद संतोष अस्पताल के इंचार्ज को फोन किया तो वहां से जवाब आया कि बेड खाली नहीं है। इसके बाद सीएमओ को फोन कर जानकारी दी लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। सुबह करीब 11 बजे सारा मामला डीएम के संज्ञान में आया तो उन्होंने विभागीय अधिकारियों को फटकार लगाई। दिन में करीब 12 बजे मरीज को संतोष अस्पताल में भर्ती कराया गया। सूत्रों का कहना है कि इस बीच पूरा मामला शासन तक पहुंचने पर रिपोर्ट मांग ली गई। डीएम ने पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से शनिवार को रिपोर्ट मांगी तो वो एक-दूसरे की कमियां बताकर मामले को टालते रहे लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। इस पर डीएम ने स्पष्ट किया कि समय कमियां बताने का नहीं है बल्कि मरीजों को समय पर इलाज मुहैया कराने का है। अगर मरीज की तबीयत बिगड़ रही थी तो उसे किसी भी तरह से एल-3 अस्पताल में भर्ती कराना था। दिक्कत पर प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी दी जानी चाहिए थे लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपने स्तर पर ही दबाए बैठे रहे। उधर, डीएम की सख्ती के बाद सीएमओ ने एसीएमओ डॉ. डीएम सक्सेना को एल-1 अस्पताल को पर्यवेक्षक बना दिया है और डॉ. नीरज अग्रवाल को निर्देश दिया है कि वह प्रतिदिन डॉ. सक्सेना को रिपोर्ट करें।
लापरवाही पर नोडल ऑफिसर ने भी लगाई थी फटकार
यह पहला मामला नहीं है कि जब स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई हो। इससे पहले वसुंधरा गेस्ट हाउस में स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक अधिकारी दिन के एक बजे ड्यूटी छोड़ आराम फरमाते मिले थे। नोडल ऑफिसर ने उस अधिकारी को वसुंधरा में संचालित कलेक्शन बूथ पर बुलाया था लेकिन जब एसडीएम के साथ नोडल ऑफिसर वहां पहुंचे तो बूथ बंद था। जबकि फोन पर अधिकारी यही जानकारी देता रहे है कि हमारा कलेक्शन बूथ चल रहा है। दोपहर में नोडल ऑफिसर फील्ड से गेस्ट हाउस पहुंचे तो संबंधित अधिकारी वहां आराम करता मिला था। तब नोडल ऑफिसर ने फटकार लगाई थी। नोडल ऑफिसर ने यहां तक पूछ लिया था कि वह गेस्ट हाउस में किस कारण से ठहरे हैं। उसके बाद संबंधित अधिकारी को गेस्ट हाउस छोड़ना पड़ा।
वर्जन
मरीज की तबीयत बिगड़ने के बाद समय पर संज्ञान न लेने के मामले में स्वास्थ्य विभाग के दो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। बाकी सभी को हिदायत दी गई है कि वह कार्य में किसी तरह की लापरवाही या शिथिलता न बरतें। अगर कोई मामला इस तरह का सामने आता है तो कड़ी कार्रवाई कर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
– अजय शंकर पांडेय, जिलाधिकारी

साभार : अमर उजाला।

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