नोएडा जिला अस्पताल के एक डॉक्टर को 40 दिन में दोबारा कोरोना संक्रमित पाए जाने से हड़कंप मच गया है। पहले संक्रमित होने के बाद वह स्वस्थ हो गए थे और क्वारंटाइन अवधि पूरी करने के बाद उनकी ड्यूटी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में लगाई गई थी, जहां वह एक सप्ताह पहले दोबारा संक्रमित हो गए।
जिला अस्पताल में तैनात सर्जन 40 दिन पहले पहली बार कोरोना संक्रमित हुए थे। उनका इलाज शिशु अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में हुआ। स्वास्थ होने के बाद क्वारंटाइन हुए और कुछ दिन तक वह छुट्टी पर भी रहे। उन्होंने दोबारा ड्यूटी ज्वॉइन कर ली। वह आपातकालीन विभाग में मरीजों का इलाज कर रहे थे। करीब दस दिन पहले ड्यूटी के दौरान नही उन्होंने साथी डॉक्टर से चक्कर आने की बात कही। उस दौरान न तो उन्हें बुखार था और ना ही सर्दी-जुकाम। आपातकालीन विभाग में काम करने के कारण कोरोना संक्रमण की आशंका भी थी। पहले एंटीजन टेस्ट हुआ जिसमें वह पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद उनकी आरटी पीसीआर जांच भी कराई गई। इश जांच में भी वह पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के बाद वह स्वस्थ हो गए हैं। वह दोबारा क्वारंटाइन हो गए हैं। अस्पताल के आपातकालीन विभाग से 10 स्वास्थ्यकर्मी भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।
”सभी डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और सफाई कर्मियों को निर्देश दिए गए हैं कि पहले खुद को सुरक्षित रखना जरूरी है ताकि हम मरीजों का इलाज कर सकें। लिहाजा सभी को अतिरिक्त एहतियात बरतने की जरूरत है। अभी डॉक्टर क्वारंटाइन में हैं। वह जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगे।”- डॉ. वीबी ढाका, सीएमएस, जिला अस्पताल
क्वारंटाइन वार्ड को अलग किया
जिला अस्पताल में बनाए गए क्वारंटाइन वार्ड को अस्पताल से अलग कर दिया गया है। इसे पूरी तरह से अस्पताल की पुरानी कैंटीन में शिफ्ट कर दिया गया है। फीवर क्लीनिक भी अस्पताल के बाहर है। ऐसे में यहां आने वाले संदिग्ध मरीजों को अस्पताल के अंदर नहीं जाने दिया जाता, बल्कि उन्हें बाहर से ही कैंटीन में बने क्वारंटाइन वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। पहले मरीजों को क्वारंटाइन वार्ड में जाने के लिए अस्पताल के अंदर जाना पड़ता था, जिससे संक्रमण का खतरा अन्य मरीजों को भी था।
साभार : livehindustan
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