सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वाले पथ विक्रेता व्यापार को ‘पटरी’ पर लाने के लिए प्रधानमंत्री पथ विक्रेता आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) का सहारा ले रहे हैं। अब तक 1700 पथ विक्रेताओं ने इस निधि से दस हजार रुपये का लोन लेने के लिए आवेदन किया है। साथ ई-वॉलेट से डिजिटल लेन-देन करने करने की शपथ ली है।
बता दें कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान के लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए अब ठेला लगाने वाले लोग धानमंत्री पथ विक्रेता आत्मनिर्भर निधि से लोन लेकर अपना कोरोबार आगे बढ़ा रहे हैं।
शहर में 23 हजार पथ विक्रेता
नगर निगम की सीमा में 23 हजार 262 पथ विक्रेता हैं। इनमें 11 हजार से ज्यादा जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) में पंजीकृत हैं। बाकी पथ विक्रेताओं ने पंजीकरण नहीं कराया है। डूडा अधिकारियों का कहना है कि इस योजना का लाभ पंजीकृत और अपंजीकृत दोनों अवस्था में दिया जाएगा।
ब्याज पर सात प्रतिशत अनुदान
इस निधि के तहत बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और माइक्रो वित्त संस्थाओं से ऋण दिलाया जाएगा। एक साल में पथ विक्रेताओं को ऋण लौटना होगा। इसके लिए मासिक किस्तें तय की जाएंगी। ऋण पर जो ब्याज निर्धारित होगा, उसमें सात प्रतिशत का अनुदान मिलेगा। यानी पथ विक्रेता पर ब्याज के कारण आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।
डिजिटल लेन-देन पर मिलेगा कैशबैक
इस निधि के तहत लोन लेने वाले पथ विक्रेताओं को डिजिटल लेन-देन करना होगा। इससे उनका ही फायदा है। पथ विक्रेता को एक माह में शुरुआती 50 डिजिटल ट्रांजक्शन पर 50 रुपये कैशबैक मिलेगा। 100 तक ट्रांजक्शन करने पर 75 रुपये कैशबैक मिलेगा। इसके बाद प्रत्येक 100 डिजिटल लेन-देन पर 25 रुपये के हिसाब से कैशबैक मिलता रहेगा।
डूडा के परियोजना अधिकारी पवन कुमार शर्मा ने बताया कि रेहड़ी-पटरी पर सामान बेचने वाले 1700 पथ विक्रेताओं ने प्रधानमंत्री पथ विक्रेता आत्मनिर्भर निधि का लाभ लेने के लिए आवेदन किया है। बचे हुए पथ विक्रेताओं तक इसका लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
साभार: jagran
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