बड़ी लापरवाही : संक्रमित युवक इलाज के लिए तड़पता रहा और सीमा विवाद में उलझी रहीं स्वस्थ्य टीमें

खोड़ा में रहने वाले एक कोरोना संक्रमित को उपचार देना तो दूर की बात है, करीब 50 घंटे तक अस्पताल ले जाने के लिए ही एंबुलेंस ही नहीं पहुंची। इलाज न मिलने के कारण घर में उनकी सांस फूलने लगी। स्वास्थ्य विभाग की टीमें सीमा विवाद में उलझी रहीं। युवक ने गृह मंत्रालय में रिश्तेदार को कॉल की, उन्होंने प्रशासन को जानकारी दी। तब बुधवार देर शाम को मरीज को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद न तो मकान को सील किया गया न ही सैनिटाइजेशन करवाया गया है। मूलत: प्रयागराज वर्तमान में खोड़ा में रहने वाला एक युवक नोएडा स्थित एक मोबाइल कंपनी में कार्यरत है। युवक को कोरोना के लक्षण प्रतीत हुए तो उन्होंने गौतमबुद्ध नगर में कोरोना टेस्ट करवाया। जिसकी रिपोर्ट 29 जून को पॉजिटिव आई। इसका पता चलने पर युवक होम क्वारंटाइन हो गया। उपचार के लिए अलग-अलग हेल्पलाइन के नंबरों पर कॉल की। लेकिन हर जगह से मामला एक दूसरे पर टरकाया जाता रहा। गौतमबुद्ध नगर में कोरोना का इलाज कराने के लिए मरीजों को ले जाने वाली स्वास्थ्य विभाग की टीम युवक को लेने के लिए घर आने को तैयार हुई। इसके बाद आधार कार्ड के नंबर के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि आधार कार्ड प्रयागराज का है, फिर मरीज को उन्होंने उपचार के लिए प्रयागराज जाने की सलाह दी। उनके विरोध जताने पर सलाह देने वाले ने अपनी गलती मानी और उनको गाजियाबाद के स्वास्थ्य विभाग की टीम से संपर्क करने के लिए कहा। इसके बाद युवक ने 30 जून की देर शाम को दोबारा से गाजियाबाद के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। लेकिन मदद नहीं मिली। उधर, युवक की तबीयत बिगड़ती जा रही थी। अंत में युवक ने दिल्ली में रहने वाले गृह मंत्रालय में कार्यरत अपने रिश्तेदार को जानकारी दी। उन्होंने तुरंत गाजियाबाद प्रशासन को मामले की गंभीरता से अवगत कराया। जिसके बाद बुधवार देर शाम को संक्रमित को उपचार के लिए मोदीनगर स्थित अस्पताल ले जाया गया। 29 जून से बुधवार की शाम तक करीब 50 घंटे तक युवक इलाज के लिए तड़पता रहा। संक्रमित के रिश्तेदार ने बताया कि युवक के साथ उसका एक सहकर्मी भी रहता है, जिसका न तो कोरोना टेस्ट करवाया गया न ही क्वारंटाइन किया गया है। ऐसी लापरवाही मरीज और उसके संपर्क में आने वालों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इस मामले में सीएमओ एनके गुप्ता से उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।

साभार: jagran

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