कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ इम्यूनिटी मजबूत करने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे में देश में इन दिनों इम्यूनिटी बूस्टर काढ़े खूब चर्चा में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में काढ़ा के सेवन जिक्र किया। इस घातक वायरस से बचाव के लिए आयुष मंत्रालय ने काढ़ा बनाने की विधि भी बताई है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इम्यूनिटी बूस्ट करने वाला काढ़ा सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। आपको बता दें कि कोई भी आयुर्वेदिक औषधि हमेशा मौसम, प्रकृति, उम्र और स्थिति देखकर दी जाती है। अगर इन चीजों का ध्यान नहीं रखा जाएगा, तो फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।
अगर काढ़ा के नियमित सेवन करने के बाद आपके शरीर में ये 5 लक्षण दिख रहे हैं, तो आप इसका सेवन करना तुरंत बंद कर दें।
1. नाक से खून आना
2. मुंह में छाले पड़ना
3. पेट में जलन होना
4. पेशाब करते समय जलन
5. अपच और पेचिश जैसी समस्या
आयुर्वेदिक काढ़ा क्यों पहुंचाता है नुकसान?
दरअसल, इम्यूनिटी बूस्टर काढ़े में आमतौर पर काली मिर्च, सोंठ, पीपली, दालचीनी, हल्दी, गिलोय, अश्वगंधा जैसी औषधियों का प्रयोग किया जाता है। इन सभी चीजों की तासीर बहुत गर्म होती है। अगर कोई व्यक्ति इन चीजों का सेवन बेहिसाब करेगा, तो उसके शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। खासकर गर्मी के मौसम में ये गर्म तासीर वाले उत्पाद ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
काढ़ा बनाते समय रखें खास ध्यान
अगर आप इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा बताए गए या फिर किसी आयुर्वेदाचार्य के द्वारा बताए गए काढ़े का सेवन कर रहे हैं, तो आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। काढ़े को बनाते समय औषधियों की मात्रा पर खास ध्यान रखें। काढ़े के सेवन से आपको किसी तरह का कोई नुकसान दिखे तो सोंठ, काली मिर्च, अश्वगंधा और दालचीनी की मात्रा कम कर दें। समस्या कम नहीं होने पर किसी आयुर्वेदाचार्य से जरूर सलाह लें।
वात और पित्त दोष वाले रखें खास ध्यान
काढ़े के सेवन से कफ ठीक हो जाता है। इसलिए कफ दोष से प्रभावित लोगों के लिए ये काढ़ा बहुत फायदेमंद है। लेकिन वात या पित्त से पप्रभावित लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ों को पीते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ध्यान रखें कि गर्म तासीर वाली चीजें काढ़े में बहुत कम मात्रा में डालें। इसके बजाय ठंडी तासीर वाली चीजें डालें।
साभार : अमर उजाला।
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