पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों के अपहरण, जबरन निकाह और इस्लामी धर्मान्तरण की ख़बरें तो सुर्ख़ियों में बनी ही हुई थीं, अब सिसिलेवार तरीके से साजिश रच कर उनके घर ढहाए जाने की बात सामने आ रही है। भारत ने मंगलवार (जून 9, 2020) को पाकिस्तान के समक्ष इस सम्बन्ध में कड़ा विरोध दर्ज कराया। पाकिस्तान स्थित पंजाब प्रान्त में हिन्दुओं को निशाना बना कर उनके घरों को योजनाबद्ध तरीके से ध्वस्त कर दिया जा रहा है।
भारत ने पाकिस्तान उच्चायोग के समक्ष इन शिकायतों को रखा है और पूरी मजबूती के साथ अपना विरोध दर्ज कराया है। बहावलपुर जिले के चाक 52/DB में हिन्दुओं के घरों को ध्वस्त कर दिया गया था, जिसके बारे में नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के सामने भारतीय अधिकारियों ने अपनी बातें रखीं। उन्हें बताया कि भारतीय सिविल सोसाइटी के लोग इस घटना पर गहरी चिंता जाहिर कर रहे हैं और अल्पसंख्यकों का इस तरह दमन किए जाने से वो पीड़ित हैं।
जिन हिन्दुओं के घरों को ध्वस्त किया गया है, उनके पास उचित और वैध दस्तावेज थे, जिससे न सिर्फ़ उनके मालिकाना हक़ के बारे में पता चलता था बल्कि उनके घरों को ढहाए जाने के सम्बन्ध में उन्हें राहत प्रदान किए जाने की भी बात लिखित थी। बावजूद इसके उनके घरों को ध्वस्त कर दिया गया। ये सब सामान्य नागरिकों द्वारा नहीं बल्कि वहाँ के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। भारत ने पाक को ‘अर्जेन्ट रेमेडियल एक्शन’, अर्थात पीड़ितों को तुरंत मदद पहुँचाने को कहा है।
भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वो अल्पसंख्यकों के फ्री स्पीच और जीवन जीने के अधिकारों की सुरक्षा के लिए क़दम उठाए। भारत ने पाकिस्तान से जिम्मेदारी पूर्वक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने को कहा है। ‘ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ पाकिस्तान’ ने हाल ही में एक फैक्ट-चेकिंग मिशन के बाद पाया था कि बहावलपुर में हिन्दुओं के घर को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया है। हिन्दुओं ने इस सम्बन्ध में पहले ही सिविल जज के समक्ष याचिका दायर कर दी थी।
संगठन ने बताया है कि हिन्दुओं ने सिविल जज से गुहार लगाई थी कि उनके साथ इस तरह का व्यवहार होने से रोका जाए और सारे दस्तावेज पेश किए थे। उन्हें पहले से ही इस बात का अंदेशा था कि पाकिस्तानी सरकार ऐसा कुछ करने वाली है। एक बार नहीं बल्कि कई बार याचिका डाली गई थी। मार्च 20, 2020 को आदेश भी आया कि हिन्दुओं के घरों को न तोड़ा जाए। इस आदेश के बावजूद अधिकारियों ने ये कृत्य किया।
अकेले 20 मई को कुल 30 हिन्दुओं के घरों को ढाह दिया गया है। इनमें से 20 के घर तो पूरी तरह ध्वस्त कर दिए गए जबकि बाकी 10 को नुकसान पहुँचाया गया है। उन घरों की महिलाओं और बच्चों तक के सिर के ऊपर से छत उजड़ गया है। संगठन का कहना है कि एक तो ये ग़रीब हिन्दू पहले से ही तमाम तरीकों से प्रताड़ित किए जा रहे हैं, ऊपर से उनके घरों को ढाह देने के बाद उनके पास कुछ बचा ही नहीं है।
इस्लामाबाद में स्थित बीबीसी की संवाददाता शुमाइला जाफरी की रिपोर्ट के अनुसार, शहर के असिस्टेंट कमिश्नर का कहना है कि निर्माण अवैध तरीक़े से किया गया था। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान मानवाधिकार संगठन के हवाले से बताया गया है कि जिन हिन्दू कॉलोनी को ध्वस्त किया गया, उसमें 70 हिन्दुओं के घर थे। ये सभी निर्माण एक दशक से भी पुराने थे। यहाँ के हिन्दू अशिक्षित और ग़रीब हैं, जो दिहाड़ी मजदूरी कर के अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
हिन्दुओं ने आरोप लगाया है कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय का नेता मोहम्मद बूटा हिन्दुओं की जमीनों का हिस्सा हड़पना चाहता था। इसके बाद उसने कमिश्नर के पास जाकर शिकायत कर दी कि हिन्दू मंशा राम अपने समुदाय के लोगों को जमीनें बेच-बेच कर पैसे कमा रहे हैं। इसके बाद ट्रैक्टर और बुलडोजर लिए पहुँचे अधिकारियों ने घरों को ढाहना शुरू किया। वहीं बूटा ने बीबीसी से बात करते हुए आरोपों को निराधार बताते हुए हिन्दुओं को ही कटघरे में खड़ा किया।
उसका कहना था कि स्थानीय हिन्दू कब्रिस्तान का अपमान करते हैं, जिससे उसे दुःख पहुँचता था। उसने आरोप लगाया कि हिन्दू शराब पीते हैं और बोतलें कब्रिस्तान में ही छोड़ जाते हैं। जबकि आयोग का कहना है कि मोहम्मद बूटा का राजनीतिक सम्बन्ध मजबूत है, जिसका वह गलत फायदा उठा रहा है। जबकि प्रशासन कह रहा है कि उसने भू-माफिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए ऐसा किया। अब देखना ये है कि पीड़ितों को मुआवजा कब मिलता है।
साभार : ऑप इंडिया
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