इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईद-उल-फितर पर सामूहिक नमाज व दुआ के लिए प्रदेश के ईदगाहों व मस्जिदों को खोलने और जून महीने में जुमे की नमाज पढ़ने की अनुमति देने का समादेश जारी करने की मांग के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची अपनी मांग को लेकर सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रत्यावेदन प्रस्तुत करे। यदि कोई आदेश नहीं होता है या प्रत्यावेदन लटकाए रखा जाता है तो वह हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है। सरकार को अर्जी दिए बगैर हाईकोर्ट में सीधे याचिका दाखिल नहीं की जा सकती।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने शाहिद अली सिद्दीकी की ओर से मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र पर कायम जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि समादेश जारी करने के लिए याची को अपनी मांग शासन के समक्ष रखनी चाहिए। कोई आदेश न होने या विपरीत आदेश होने के बाद याचिका दाखिल की जा सकती है। याची ने सरकार के समक्ष अपनी मांग रखे बगैर जनहित याचिका दाखिल कर समादेश जारी करने की मांग की है, जिसपर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
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