उत्तराखंड के चार धामों में से एक भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट आज सुबह 4.30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खोल दिए गए। COVID-19 की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच मुख्य पुजारी समेत सिर्फ 28 लोगों की मौजूदगी में भगवान बद्री विशाल के मंदिर का कपाट खोला गया। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो, इस वजह से ही मुख्य पुजारी समेत चुनिंदा लोगों को ही कपाट खोलने के समय मौजूद रहने की अनुमति दी गई। भगवान बद्रीविशाल की आज पहले दिन की अभिषेक पूजा देश के प्रधानमंत्री नरेंद मोदी की ओर से जाएगी, ताकि कोरोना वायरस नामक महामारी को देश और संसार से मिटाने में सबको सफलता मिल सके।
विश्वप्रसिद्ध भू-बैकुण्ठ धाम स्थित भगवान बद्री विशाल मंदिर के कपाट आज से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं। सुबह द्वार पूजन के साथ ही मंदिर में मुख्य पुजारी रावल व अन्य हक हकूकधारियों की मौजूदगी में भगवान श्री नारायण के कपाट खोले गए। भगवान बद्री विशाल के कपाट खोलने से पहले मंदिर को फूलों से सजाया गया। आज तड़के जब कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई, तो मंदिर की भव्यता देखते ही बन रही थी। मंदिर पहुंचने के बाद मुख्य पुजारी रावल और धर्माधिकारी ने द्वार पूजन के साथ मंदिर परिसर में प्रवेश किया। ठीक 4.30 बजे भगवान बद्री नारायण मंदिर के कपाट इस वर्ष यात्रा काल के लिए खोल दिए गए। कपाट खुलने के साथ ही सभी ने अखंड ज्योति के दर्शन किए। सभी को भगवान बद्रीश के निर्वाण दर्शन का भी सौभाग्य मिला।
धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल ने बताया कि भगवान बद्री विशाल के मंदिर की अनोखी परंपरा है। यहां शीत काल में जहां देवताओं की ओर से देवर्षि नारद भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं ग्रीष्मकाल में मानवों द्वारा पूजा की जाती है। आज कपाट खुलने के बाद जहां रावल जी द्वारा भगवान बद्रीश की पूजा के बाद माता लक्ष्मी जी की मूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाया जाता है, वहीं भगवान उद्धव जी के विग्रह को गर्भगृह में स्थापित किया जाता है। इसके साथ ही बद्रीश पंचायतन की पूजाएं शुरू हो जाती हैं।
इससे पहले आदि गुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी सहित रावल, उद्धव, कुबेर और गाडूघड़ा (तेलकलश ) योग ध्यान बद्री मंदिर पांडुकेश्वर से गुरुवार को बद्रीनाथ धाम पहुंचे। रास्ते में इस बार लाम बगड़ एवं हनुमान चट्टी में देव डोलियों ने विश्राम नहीं किया और न इन स्थानों पर भंडारे आयोजित हुए। बद्रीनाथ पहुंच कर भगवान बद्री विशाल के जन्म स्थान लीला ढूंगी में रावल ने पूजा-अर्चना की। इस बार ऋषिकेश की बद्रीनाथ पुष्प सेवा समिति द्वारा मंदिर को फूलों से सजाया गया है।
सोशल डिस्टेंसिंग का रखा ध्यान
पांडुकेश्वर स्थित प्राचीन योग ध्यान बद्री मंदिर पांडुकेश्वर में प्रात: काल पूजा-अर्चना के पश्चात सभी देवडोलियों ने रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी एवं डिमरी पंचायत प्रतिनिधि, सीमित संख्या में हकूकधारियों के साथ बद्रीनाथ धाम की ओर प्रस्थान किया। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया और सभी लोग मास्क पहने नजर आए। कम संख्या में बद्रीनाथ धाम जाने की अनुमति के कारण देवस्थानम बोर्ड तथा सीमित संख्या में हकूकधारी ही बदरीनाथ धाम पहुंचे।
सुबह 3 बजे से कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ।हरीश गौड़ ने गुरुवार को बताया कि 15 मई को प्रात: 4 बजकर 30 मिनट पर कृष्ण अष्टमी तिथि धनिष्ठा नक्षत्र में बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। प्रात: 3 बजे से कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस दौरान परिसर में कुबेर, उद्धव और गाडू घड़ा दक्षिण द्वार से प्रवेश करेंगे। इसके बाद रावल, धर्माधिकारी, हक हकूकधारियों की उपस्थिति में कपाट खोले जाएंगे। कपाट खोलने के बाद लक्ष्मी माता को परिसर स्थित मंदिर में विराजमान कर दिया जाएगा।
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