लॉकडाउन के दौरान 21.9% लोगों के जमा पास था 1 महीने का राशन, 16 मार्च को यह संख्या थी ज़ीरो

22 मार्च को देश में जनता कर्फ्यू था और इसी दिन के बाद से एक के बाद एक कई शहर लॉकडाउन होने लगे थे। 25 मार्च से पूरे देश को ही लॉकडाउन कर दिया गया। 22 से 25 मार्च के बीच जब यह सब हो रहा था, तब देश भर में जो एक तस्वीर हर जगह से सामने आ रही थी, वो थी रिटेल स्टोर्स पर भीड़। बिग बाजार जैसी बड़ी ग्रॉसरी शॉप हो या छोटी-छोटी किराना दुकानें हों, हर जगह लोग थैला भर-भर कर सामान ले जा रहे थे। सब्जी मंडियों में भी कुछ इसी तरह का नजारा था।

लॉकडाउन को अब एक महीना पूरा हो चुका है। इसके आगे बढ़ने के भी आसार हैं और इसीलिए लोग अपनी तैयारी बेहतर कर रहे हैं। आईएएनएस-सीवोटर कोविड-19 ट्रैकर सर्वे में सामने आया है कि 43.3% लोगों ने 3 हफ्ते से ज्यादा का राशन जमा किया हुआ है। इनमें 15.8% लोगों के पास तो एक महीने से ज्यादा का राशन जमा है। यह आंकड़ें जनता कर्फ्यू लगने के ठीक एक महीने बाद (21 अप्रैल) के हैं। सर्वे में यह भी कहा गया है कि 16 मार्च को जब राशन के स्टॉक का सर्वे हुआ था तो किसी भी शख्स ने 1 महीने से ज्यादा का राशन स्टॉक का दावा नहीं किया था।
16 मार्च के बाद ही भारत सरकार कोरोनावायरस को लेकर फूल एक्शन में आई थी। लोगों ने इसी समय से ही राशन इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। एक रिपोर्ट में सामने आया था कि मार्च के दूसरे से तीसरे हफ्ते में बिग बॉस्केट (ग्रॉसरी स्टोर) का रेवेन्यू दोगुना हो चुका था। इसी दौरान एक अन्य ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर ग्रोफर्स पर आम दिनों के मुकाबले 45% ज्यादा ऑर्डर आने लगे थे। औसत ऑर्डर की कीमत में भी 18% का इजाफा हो रहा था।

जनता कर्फ्यू के बाद तो लोगों ने ऑनलाइन ऑर्डर के लिए भी इंतजार नहीं किया। लोग अपने नजदीकी किराना दुकानों से खान-पान की जरूरी चीजें स्टॉक करने के लिए निकल पड़े थे। जब हर जगह यही नजारा था तो फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के चेयरमैन डीवी प्रसाद ने 25 मार्च को एक बयान में कहा कि भारत के लोगों को पैनिक बाइंग (किसी आशंका के डर से ज्यादा खरीददारी करने) की जरूरत नहीं है। देश में खाद्य सामग्रियों का पर्याप्त स्टॉक है। उन्होंने बताया था कि अप्रैल के आखिरी तक देशभर के गोदामों में 10 करोड़ टन अनाज होगा, जिससे 18 महीने तक लोगों की जरूरत पूरी की जा सकती है।

लॉकडाउन के पहले फेज की सख्ती के बाद अब कई जगह राशन को घर-घर पहुंचाने की भी सर्विस चालू है। सरकार के पर्याप्त खाद्य सामग्री के आश्वासन और घर-घर राशन की डिलीवरी होने की कोशिशों का इस पर कोई असर नहीं है। जिन लोगों का राशन स्टॉक कम हो रहा है, वे मौका मिलते ही फिर से अगले 1 या 2 महीने के लिए राशन जमा कर रहे हैं।

आईएएनएस-सीवोटर कोविड-19 ट्रैकर के सर्वे के मुताबिक, 20.4% लोगों के पास दो हफ्ते, 5.6% लोगों के पास तीन हफ्ते, 21.9% लोगों के पास एक महीने और 15.8% के पास 1 महीने से ज्यादा का राशन जमा है। हालांकि 24.5% लोगों का कहना है कि उनके पास एक हफ्ते तक का ही राशन जमा हैं।

16 मार्च को हुए इसी तरह के सर्वे में 77.1% लोगों का कहना था कि उनके पास एक हफ्ते से कम का राशन है। एक महीने बाद ऐसे लोगों में का प्रतिशत 12.3 ही रह गया है। यानी वे लोग जो घरों में 4-5 दिनों तक का ही खान-पान की चीजों का स्टॉक रखते थे, वे भी अब 2-3 हफ्तों या 1 महीने तक का राशन जमा किए हुए हैं।

ब्रिटेन में पिछले साल के मुकाबले मार्च के दूसरे हफ्ते में 467 मिलियन पाउंड की ज्यादा बिक्री हुई

पिछले दिनों में पैनिक बाइंग की यह स्थिति भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में हर जगह देखने को मिली है। निल्सन डेटा फर्म के मुताबिक, ब्रिटेन में 2019 के मुकाबले इस साल मार्च के दूसरे हफ्ते में ग्रॉसरी सेल्स में 22% का इजाफा हुआ है। सबसे ज्यादा इजाफा (65%) पालतू जानवरों की देखभाल करने वाली चीजों की बिक्री में हुआ। हेल्थ, ब्यूटी, बेबी केयर, टॉयलेट पेपर जैसी चीजों की बिक्री में 46% बढ़त देखी गई। फ्रोजन फूड 33% और बियर, वाइन भी 11% ज्यादा बिकी। कुल मिलाकर पिछले साल के मुकाबले इस साल मार्च के दूसरे हफ्ते में लोगों ने 467 मिलियन पाउंड ज्यादा खर्च किए।
(साभार – मनी भास्कर)


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