केंद्रीय कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों (Pensioner) के लिए बड़ी खबर आई है। सरकार ने 4 फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता (डीए) 4 फीसदी बढ़ाकर 21 फीसदी कर दिया गया है। इसका फायदा करीब 32 लाख कर्मचारियों और 25 लाख पेंशनर्स को होगा। इनमें सेना और सुरक्षा बलों के कर्मचारी शामिल नहीं होंगे। इस फैसले से सरकार पर 14,595 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। राज्यसभा में लिखित जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया था कि मार्च महीने की सैलरी के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को महंगाई भत्ता मिलने लगेगा।
महंगाई भत्ता ऐसा पैसा है, जो देश के सरकारी कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है। पूरी दुनिया में सिर्फ भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश ही ऐसे देश हैं, जिनके सरकारी कर्मचारियों को ये भत्ता दिया जाता है। ये पैसा इसलिए दिया जाता है, ताकि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर में पैसे की वजह से दिक्कत न हो। ये पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशन धारकों को दिया जाता है।
इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी। सिपाहियों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए उनकी तनख्वाह से अतिरिक्त पैसा दिया जाता था। इस पैसे को उस वक्त खाद्य महंगाई भत्ता या डियर फूड अलाउंस कहा जाता था। जैसे-जैसे वेतन बढ़ता जाता था, इस भत्ते में भी इजाफा होता था।
भारत में मुंबई के कपड़ा उद्योग में 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी। इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने लगी थी, ताकि बढ़ती हुई महंगाई का असर सरकारी कर्मचारी पर न पड़े। इसके लिए 1972 में ही कानून बनाया गया, जिससे कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट 1951 के तहत आने वाले सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगे।
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