भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा के खिलाफ भड़काऊ भाषण को लेकर एफआईआर की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पूर्व आईएएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर खुद ही घिर गए हैं। कोर्ट ने हर्ष मंदर को फटकार लगाते हुए उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, ‘आपकी याचिका पर तब तक सुनवाई नहीं होगी जब तक कि न्यायपालिका को लेकर की गई आपके बयान का मामला नहीं सुलझ जाता।‘
सीजेआई ने नागरिकता कानून को लेकर हर्ष मंदर के बयान का हवाला देते हुए कहा, ‘आपने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बयान दिया है। हम अभी आपको नहीं सुनेंगे… अगर हर्ष मंदर को सुप्रीम कोर्ट के बारे में ऐसा लगता है तो पहले इस पर फैसला होना चाहिए।’
दिल्ली हिंसा मामले के पीड़ितों के साथ हर्ष मंदर भी एक याचिकाकर्ता हैं। उन्होंने हाल ही में बयान दिया था कि सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं रहा, फिर भी हम बीजेपी नेताओं के खिलाफ कोर्ट जा रहे हैं। सीजेआई बोबडे ने मंदर के भाषण का ट्रांसक्रिप्ट मांगा है। हर्ष मंदर के मामले में न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
बता दें कि इसके पहले बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को हर्ष मंदर का एक वीडियो ट्वीट किया था, जिसमें मंदर कहते दिख रहे हैं कि अब फैसला संसद या सुप्रीम कोर्ट में नहीं, सड़कों पर होगा। मंदर कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में इंसानियत और धर्म निरपेक्षता की रक्षा नहीं की, इसलिए लोग अब सड़कों पर अपने भविष्य का फैसला करेंगे।
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