सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आज हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सरकार की ओर से अयोध्या के रौनाही में मस्जिद निर्माण के लिए दी गई पांच एकड़ जमीन को स्वीकार कर लिया गया है। बोर्ड इस जमीन पर मस्जिद के साथ चैरिटेबल हॉस्पिटल और एक पब्लिक लाइब्रेरी का निर्माण कराएगा। बोर्ड राम मंदिर ट्रस्ट की तर्ज पर ही एक ट्रस्ट का गठन भी करेगा। इससे पहले हुई बैठक में आठ में से दो सदस्यों ने जमीन लेने का विरोध किया और बैठक से उठकर बाहर चले गए। इसके बाद बाकी बचे सदस्यों ने जमीन लेने पर अपनी सहमति दे दी।
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा जनपद अयोध्या में पांच एकड़ भूमि मस्जिद के निर्माण हेतु प्रदान की गई है। बैठक में भूमि को स्वीकार किए जाने का फैसला लिया गया। बोर्ड 5 एकड़ भूमि पर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट गठित करेगा। ट्रस्ट दी गई भूमि पर एक मस्जिद के साथ ऐसा केंद्र स्थापित करेगा जो सदियों तक इंडो-इस्लामिक सभ्यता को प्रदर्शित करेगा। पांच एकड़ जमीन पर भारतीय तथा इस्लामिक सभ्यता के अन्वेषण तथा अध्ययन हेतु एक केंद्र की भी स्थापना होगी। साथ ही एक चैरिटेबल अस्पताल एवं पब्लिक लाइब्रेरी और अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की जाएगी। ट्रस्ट और उसके पदाधिकारियों से संबंधित संपूर्ण विवरण की घोषणा प्रस्तावित ट्रस्ट के गठन के उपरांत की जाएगी।’
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य अब्दुल रज़्ज़ाक ने कहा है कि शरीयत मस्जिद की जमीन के बदले जमीन लेने की इजाजत नहीं देता। इसलिए हमें जमीन नहीं लेनी चाहिए और हम इसका विरोध कर रहे हैं। दूसरे सदस्य इमरान माबूद खान ने भी बैठक का बायकॉट किया है। उन्होंने भी शरीयत का हवाला देते हुए बैठक में नहीं आने की बात कही है। हालांकि, बाकी के सारे छह सदस्य चेयरमैन के साथ हैं, जिसकी वजह से जमीन लेने के फैसले को बहुमत से पास कर दिया। इसके बाद जमीन लेने और ट्रस्ट बना कर उस पर निर्माण करने के सारे रास्ते साफ हो गए।
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