शाहीनबाग – धरना शिफ्ट होगा या नहीं, अब 26 फरवरी को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन का 72वां दिन है। प्रदर्शनकारियों के धरने के चलते बंद सड़कों को खोलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल याचिका दायर हुई थी। सोमवार को जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ ने 26 फरवरी तक सुनवाई टाल दी है। इसके पहले कोर्ट की ओर से नियुक्त मध्यस्थ साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े ने बेंच को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद बेंच ने कहा कि वह इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद 26 फरवरी को सुनवाई करेंगे।


रिपोर्ट किसी से नहीं की गई साझा

मध्यस्थों ने सील बंद लिफाफे में यह रिपोर्ट जजों को सौंपी। इसकी प्रति न तो याचिकाकर्ता को दी गई और न ही केंद्र सरकार व दिल्ली पुलिस का पक्ष रखने वाले वकीलों को। याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता ने कोर्ट से रिपोर्ट की प्रति भी मांगी लेकिन जजों के बेंच ने यह कहते हुए उनकी मांग खारिज कर दी कि वह पहले खुद इसे पढ़ेंगे। रिपोर्ट सौंपते हुए रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट का अभिवादन किया। कहा कि यह मौका पाकर वह खुश हैं और इससे उन्हें काफी सकारात्मक अनुभव हासिल हुआ है।

हबीबुल्लाह ने पुलिस को ठहराया दोषी
इसके पहले रविवार को पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने हलफनामा दायर किया है। जिसमें उन्होंने धरने की वजह से आ रही समस्याओं के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार माना। उन्होंने कोर्ट को बताया कि शाहीन बाग में शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है। यहां राहगीरों को असुविधा हो रही है, क्योंकि धरना स्थल से दूर पुलिस ने सड़क पर बेवजह बैरिकेड्स लगा रखे हैं। इसके अलावा खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले सैय्यद बहादुर अब्बास और भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर ने भी संयुक्त रूप से एक हलफनामा दायर कर बंद सड़कों के लिए पुलिस को ही जिम्मेदार ठहराया है।

लोगों को धरना देने का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोगों को शांतिपूर्वक और कानूनी रूप से विरोध करने का मौलिक अधिकार है। हम केवल शाहीन बाग में रास्ता बंद होने से परेशान हैं, क्योंकि इससे अराजक स्थिति पैदा हो सकती है। प्रदर्शनकारियों ने मध्यस्थों से कहा था कि सुरक्षा के मद्देनजर धरना स्थल के आसपास स्टील शीट से घेराबंदी की जाए। साथ ही यहां हुई घटनाओं की जांच की कराई जाए।

शुक्रवार को 2 घंटे के लिए खोला गया था रास्ता

सीएए के विरोध में शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन के बीच शुक्रवार को वहां का रास्ता केवल 2 घंटे के लिए खोला गया था। पुलिस ने नोएडा और फरीदाबाद को जोड़ने वाले रास्ते से बैरिकेडिंग हटाई थी। प्रदर्शनकारी 15 दिसंबर से सड़क पर धरना दे रहे हैं। इससे नोएडा-फरीदाबाद की ओर जाने वाले रास्ते बंद हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने लोगों की परेशानी पर चिंता जताई थी
सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को इस बात पर चिंता जताई थी कि शाहीन बाग वाली सड़क बंद होने से लोग परेशान हो रहे हैं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को दूसरे स्थान पर जाने का सुझाव दिया था, जहां कोई सार्वजनिक स्थान इसके चलते बंद न हो। हालांकि, कोर्ट ने इनके प्रदर्शन के अधिकार को जायज ठहराया था।

स्थानीय प्रदर्शन के खिलाफ सड़क पर उतरे थे
प्रदर्शनस्थल के आसपास कई दुकानें बंद हैं। कुछ दिन पहले स्थानीय नागरिक प्रदर्शन के खिलाफ सड़कों पर उतरकर जल्द रास्ता खोलने की मांग की थी। उन्होंने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें कहा था कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य जिम्मेदारों को निर्देश दिए जाएं।


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