दिल्ली की एक अदालत ने आज केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से पूछा कि एजेंसी के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का उसने मनोवैज्ञानिक एवं लाइ डिटेक्टर परीक्षण क्यों नहीं करवाया। गौरतलब है कि रिश्वतखोरी के एक मामले में अस्थाना को हाल में क्लीन चिट दी गई। इसके साथ ही सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने शुरुआत में जांच करने वाले अधिकारी अजय कुमार बस्सी को 28 फरवरी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। इस मामले में सीबीआई की जांच पर अदालत ने पिछले सप्ताह बुधवार को नाराजगी जाहिर की थी और पूछा था कि जिन आरोपियों की इसमें बड़ी भूमिका है वे खुले क्यों घूम रहे हैं जबकि जांच एजेंसी अपने खुद के डीएसपी को गिरफ्तार कर चुकी है।
आपको बता दें कि सीबीआई ने अस्थाना और डीएसपी देवेन्द्र कुमार को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत दे दी गई थी। दोनों को मामले में आरोपी बनाने के पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण इनके नाम आरोप पत्र के कॉलम 12 में लिखे गए थे। सीबीआई ने हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना की शिकायत के आधार पर अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ 2017 के मामले में सना पर भी जांच चल रही है।
सीबीआई बनाम सीबीआई कथित भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बीते 12 फरवरी को जांच एजेंसी पर एक घूसखोरी मामले की जांच को लेकर भड़क गए थे। इस मामले में सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी संलिप्त थे। उन्होंने जांच कर रहे अधिकारियों से यह बताने के लिए कहा कि मामले में एक बड़ी भूमिका वाले आरोपी अब भी आजाद क्यों हैं जबकि एजेंसी के पुलिस उपाधीक्षक को गिरफ्तार किया गया है।
तब जज ने कहा था कि आपने अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर उनका करियर क्यों खराब किया, जबकि प्रमुख खिलाड़ी (सोमेश प्रसाद) को अभी भी गिरफ्तार नहीं किया गया है। बता दें कि दिल्ली की अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है। सीबीआई के आरोप पत्र के कॉलम 12 में सीबीआई के पूर्व निदेशक राकेश अस्थाना और एक अन्य अधिकारी देवेंद्र कुमार का नाम दर्ज किया है, ‘जिनके खिलाफ पर्याप्त सबूत भी नहीं हैं।’
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