उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर गरीब सवर्णों को नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए कानून बनाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए प्रस्तावित कानून से संबंधित विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। इस विधेयक को इसी बजट सत्र में पास कराकर राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस विधेयक का नाम यूपी लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) विधेयक-2020 है।
प्रदेश सरकार ने गरीब सवर्णों को अभी तक सरकारी नौकरियों में 18 फरवरी, 2019 के शासनादेश के जरिए पहली फरवरी, 2019 को या इसके बाद रिक्त पदों पर दस फीसदी आरक्षण दिया है। लेकिन अब इसके लिए अधिनियम के जरिए दिया जाएगा। गरीब सवर्णों को सभी श्रेणी की सरकारी नौकरियों में (अल्पसंख्यक संस्थाओं को छोड़कर) दस फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। आठ लाख रुपये सालाना से कम आय वाले परिवार इस लाभ को पाने के हकदार होंगे।
पौने दो अरब पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के लिए खर्च होगा
कैबिनेट ने चालू वित्तीय वर्ष-2019-20 में प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के पात्र छात्र-छात्राओं की फीस भरपाई के लिए एक अरब 75 करोड़ 37 लाख 42 हजार रुपये देने का फैसला किया है।
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