कोरोना वायरस के बीच भारत में कई प्रमुख दवाओं की कीमतों में भारी इजाफा होने लगा है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार API (Active Pharamsuticals Ingredient) इंडस्ट्री को राहत दे सकती है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, देश की फार्मा इंडस्ट्री ने लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजी पर काम शुरू करने की मांग की है ताकि चीन पर उसकी निर्भरता कम हो जाए। कोरोना वायरस के खतरे के बीच फार्मास्यूटिकल विभाग ने इंडस्ट्री के साथ बैठक की है। API का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार से मांग की गई है कि इसके लिए लांग टर्म रणनीति पर तुरंत काम शुरू किया जाए। बता दें कि दवाएं बनाने के लिए कच्चे माल के तौर पर एपीआई का इस्तेमाल किया जाता है।
जरूरत का 80 फीसदी API चीन से आयात होता है
इंडस्ट्री ने चीन पर से निर्भरता कम करने के लिए रियायत की मांग की है। देश में चीन से जरूरत का करीब 80 फीसदी API का आयात होता है. इंडस्ट्री ने API प्राइस कंट्रोल में ढील की मांग की है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक इंडस्ट्री का कहना है कि शुरुआती 3-5 साल के लिए टैक्स हॉलिडे मिलना चाहिए।
इसके साथ ही इंडस्ट्री की मांग है कि पर्यावरण मंजूरी 6 महीने के अंदर मिलनी चाहिए। एक ही लाइसेंस पर अलग प्रोडक्ट मिक्स बनाने की भी इज़ाज़त मिले। चीन में मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट 20-30 फीसदी सस्ता है जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार को देश में घरेलू API इंडस्ट्री को राहत देनी चाहिए।
70 फीसदी तक महंगी हुई जरूरी दवाइयां
आपको बता दें कि कारोना वायरस की वजह से सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली दवाओं की कीमतों में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है। देश में पैरासिटामोल की कीमतों में 40 फीसदी से अधिक का इजाफा हो चुका है। वहीं, बैक्टिरियल इन्फेक्शन से बचने के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा एजिथ्रोमाइसिन भी 70 फीसदी तक महंगा हो चुका है। फार्मा कंपनी Zydus Cadila के चेयरमैन पंकज पटेल ने यह जानकारी दी है। पटेल ने कहा कि अगर अगले महीने की पहले सप्ताह तक दवाओं की सप्लाई दुरुस्त नहीं की गई तो इससे अप्रैल महीने में फार्मा इंडस्ट्री दवाओं की भारी कमी से जूझ सकता है।
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