इको-फ्रेंडली तरीके से दाह संस्कार की कवायद, 30 दिन में खत्म हो जाएगी देह

मृत शरीर को जलाने से उत्सर्जित होने वाले कार्बन की रोकथाम के लिए अमेरिका में इको-फ्रेंडली दाह संस्कार का तरीका विकसित किया गया है। इसमें विशेष बॉक्स में पार्थिव देह को लकड़ी के टुकड़ों और पौधों के अवशेषों के साथ बंद किया जाता है और घुमाया जाता है। इस बॉक्स में शरीर का तापमान 55 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है और इस दौरान पैदा हुए जीवाणुओं के जरिए शरीर 30 दिन में खत्म हो जाता है। अंत में खाद के रूप में केवल कुछ हड्डियां और मिट्टी बचती है।

बताया जा रहा है कि ट्रायल रूप में हड्डियों का अवशेष प्राप्त हो रहा है। व्यावसायिक रूप से शुरू होने पर अवशेष में यह पूरी तरह खत्म हो जाएगी। फिलहाल इस प्रक्रिया का ट्रायल छह मृत शरीरों पर किया गया, जिसमें लकड़ियों के टुकड़ों व पौधों के अवशेषों से देह अपघटित हो गई। इस प्रक्रिया को व्यावसायिक रूप से फरवरी 2021 से अमेरिका के वॉशिंगटन राज्य में लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद यह दुनिया की पहली ऐसी सेवा होगी।

तापमान ज्यादा होने से शरीर की बीमारी खत्म हो जाती हैं

इस प्रक्रिया को विकसित करने वाली कंपनी रिकम्पोज का कहना है कि यह प्रक्रिया पारंपरिक दाह संस्कार की तुलना में पर्यावरण के लिहाज से बेहतर है। पारंपरिक प्रक्रिया में करीब एक टन कार्बन उत्सर्जित होता है, जो इसमें नहीं होता
वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, 30 दिन में पार्थिव देह पूरी तरह अपघटित हो जाती है। इस प्रक्रिया में उच्च तापमान रहने से शरीर के भीतर की बीमारियां भी नष्ट हो जाती हैं।

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