निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी देने के लिए नयी तारीख की मांग करने वाली तिहाड़ जेल अधिकारियों की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने दिल्ली हाईकोर्ट के पांच फरवरी के उस आदेश पर गौर किया, जिसमें चारों दोषियों को एक सप्ताह के भीतर कानूनी उपचार का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।
कोर्ट ने कहा, ‘जब दोषियों को कानून जीवित रहने की इजाजत देता है, तब उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप है।’ हाईकोर्ट ने पांच फरवरी को न्याय के हित में दोषियों को इस आदेश के एक सप्ताह के अंदर अपने कानूनी उपचार का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। न्यायाधीश ने कहा, ‘मैं दोषियों के वकील की इस दलील से सहमत हूं कि महज संदेह और अटकलबाजी के आधार पर मौत के वांरट को तामील नहीं किया जा सकता है। इस तरह, यह याचिका खारिज की जाती है। जब भी जरूरी हो तो सरकार उपयुक्त अर्जी देने के लिए स्वतंत्र है।’ कोर्ट तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें दोषियों के खिलाफ मौत का नया वारंट जारी करने की मांग की गई है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शुक्रवार को कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर 11 फरवरी को सुनवाई करेगा। हाईकोर्ट ने चार दोषियों की फांसी पर रोक लगाने के खिलाफ दायर केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया गया था। न्यायमूर्ति आर भानुमति की अगुवाई वाली पीठ ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता के इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया कि केंद्र की याचिका पर चारों दोषियों को नोटिस जारी की जाए।
पीठ ने मेहता को बताया कि वह 11 फरवरी को उनको सुनेगी और विचार करेगी कि दोषियों को नोटिस जारी करने की जरूरत है या नहीं। इस पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना भी शामिल थे। सुनवाई की शुरुआत में मेहता ने अदालत को बताया कि मामले में राष्ट्र के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है और पीठ को इस मुद्दे पर कानून बनाना होगा।
आपको बता दें कि निचली अदालत ने मामले में चारों दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) की फांसी पर अगले आदेशों तक 31 जनवरी को रोक लगा दी थी। अपनी याचिका में तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति पहले ही तीन दोषियों की दया याचिकाओं को खारिज कर चुके है और इस समय चारों में से किसी का भी आवेदन किसी भी अदालत के समक्ष लंबित नहीं है। पवन ने अब तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है। पवन के पास दया याचिका दाखिल करने का भी विकल्प है
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