आज लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब दिया। एक घंटे 40 मिनट के भाषण में मोदी विपक्ष पर काफी हमलावर नजर आए। विभाजन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसी (जवाहर लाल नेहरू) को प्रधानमंत्री बनना था, इसलिए हिंदुस्तान की जमीन पर लकीर खींच दी गई। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि एक सवाल बार-बार आ रहा है कि सरकार कामों की इतनी जल्दी क्यों है? अगर पुरानी लीक पर चले होते तो अनुच्छेद 370 खत्म नहीं होता। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के 10 प्रमुख पॉइंट्स इस प्रकार हैं –
1. नेहरू पर आरोप
प्रधानमंत्री बनने की इच्छा किसी की भी हो सकती है, इसमें कोई बुराई नहीं। लेकिन किसी को प्रधानमंत्री बनना था, इसलिए हिंदुस्तान के नक्शे पर एक लकीर खींच दी गई। लाखों हिंदुओं और सिखों पर अत्याचार हुए। भूपेंद्र कुमार दत्त एक वक्त ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव थे। जेल में उन्होंने 78 दिन भूख हड़ताल की थी। वे पाकिस्तान में रह गए थे। बंटवारे के तुरंत बाद संविधान सभा में उन्होंने अल्पसंख्यों की स्थिति पर चिंता जताई थी। इसके बाद स्थितियां और खराब हुईं और भूपेंद्र दत्त को भारत में शरण लेनी पड़ी थी। यही आपकी सोच है। एक और स्वतंत्रता सेनानी जोगीराज मंडल भी पाकिस्तान में रुक गए थे। उन्हें कानून मंत्री बनाया गया था। 9 अगस्त 1950 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसमें लिखा था कि पाकिस्तान ने मुस्लिम लीग के सभी विचारों को नहीं माना। उन्हें भी भारत ही आना पड़ा था। इतने दशकों के बाद भी पाकिस्तान की सोच नहीं बदली।
2. पुराने ढर्रे पर चलते तो अनुच्छेद 370 नहीं हटता
सरकार बदली है, सरोकार भी बदलने की जरूरत है। एक नई सोच की जरूरत है। लेकिन हम पहले के तरीके से चलते और उस रास्ते पर चलते जिसकी आपको आदत हो गई थी तो शायद 70 साल के बाद भी इस देश से अनुच्छेद 370 नहीं हटता और मुस्लिम बहनों को तीन तलाक की तलवार डराती रहती। राम जन्मभूमि आज भी विवादों में रहती। करतारपुर साहिब कॉरिडोर कभी नहीं बनता। न ही बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद सुलझता।
3. कांग्रेस की कार्यशैली
आज दुनिया की भारत से अपेक्षा है। अगर हम चुनौतियों को चुनौती नहीं देते तो शायद देश को अनेक समस्याओं से लंबे अरसे तक जूझना पड़ता। अगर कांग्रेस के रास्ते पर चलते तो 50 साल बाद भी शत्रु संपत्ति के लिए इंतजार करना पड़ता। 28 साल बाद भी बेनामी संपत्ति कानून का इंतजार खत्म नहीं होता। फाइटरजेट का इंतजार भी खत्म नहीं होता। हमने जिस तेजी से काम किया है। जनता ने इसे देखा और अधिकता के साथ हमें दोबारा काम करने का मौका दिया। अगर ये तेजी नहीं होती तो 11 करोड़ घरों में शौचालय न होता, 13 करोड़ घरों में गैस का चूल्हा न पहुंचता और लंबे अरसे से दिल्ली में अटकी 17 अवैध कॉलियों में रहने वाले 40 लाख लोगों को अपने घर का अधिकार न मिलता।
4. पूर्वोत्तर का विकास
पूर्वोत्तर हमारे लिए सिर्फ एक क्षेत्र नहीं है। वहां के एक-एक नागरिक के साथ आगे बढ़ने का मौका मिला और दिल्ली उनके दरवाजे पर पहुंच गई। लगातार हमारे मंत्री वहां गए और लोगों से संवाद किया। वहां लोगों को सड़क, बिजली, ट्रेन और हवाई सेवाएं दी गईं। प्रयोग तो पहले भी हुए और आज भी हो रहे हैं। पहले पूर्वोत्तर में सूर्य तो निकलता था लेकिन सुबह नहीं होती थी। पूर्वोत्तर के लिए पहले जो काम होते थे, वो एक प्रकार से खानापूर्ति थी। कागज पर समझौते हुए लेकिन बोडो समस्या का समाधान नहीं हुआ। इससे 4 हजार लोग मौत के घाट उतारे गए थे। अब जो समझौता हुआ है, जो हथियारों पर विश्वास करने वालों के लिए एक संदेश है। हमारी कोशिश में सभी हथियारी ग्रुप एक साथ आए। समझौते में लिखा है कि इसके बाद बोडो की कोई मांग बाकी नहीं रही है। आज नया सवेरा आया है। वो प्रकाश आपके चश्मा बदलने पर दिखाई देगा।
5. भ्रष्टाचार
आर्थिक विषयों पर यह जरूर सोचना चाहिए कि आज कहां हैं और पहले कहां थे। हमारे माननीय सदस्य कहते हैं कि ये क्यों नहीं करते, कब तक करोगे और कैसे करोगे। मैं इसे आलोचना के रूप में नहीं लेता, बल्कि ये मेरे लिए प्रेरणा है। क्योंकि आपको पता है कि करेगा तो यहीं करेगा। लेकिन पहले की सरकारों में भ्रष्टाचार, कमजोर बैंकिंग और संसाधनों की बंदरबांट के मुद्दे सदन में गूंजते थे। हमने इन सब को खत्म करने का लक्ष्य रखा था और उसे पूरा भी किया। आज वित्तीय घाटा और महंगाई बनी हुई है। विपक्ष ने रोजगार का जिक्र किया तो मोदी ने चुटकी ली- एक काम न करेंगे न होने देंगे। आपकी बेरोजगारी नहीं हटने देंगे।
6. राहुल के बयान पर जवाब
मैं मानता हूं कि कांग्रेस ने 70 साल में कभी आत्मसंतुष्टि महसूस नहीं की। कल एक कांग्रेस नेता (राहुल गांधी) ने कहा कि युवा मोदी को डंडे मारेंगे। अगले छह महीने ऐसे सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ा दूंगा और पीठ का साइज (मजबूती) इतना बढ़ा दूंगा कि कोई भी डंडा मार सके। मैंने गंदी गालियां झेली हैं। खुशी है कि 30-40 मिनट से बोलने के बाद कांग्रेस को अब तो करंट लगा।’
7. बंगाल-कश्मीर के हालात
पिछले दिनों जो बातें बोलीं गईं, सदन में उसका जिक्र है। अधीरजी (कांग्रेस नेता) बंगाल में क्या चल रहा है, उसका कच्चा चिट्ठा खोल दें तो आपको बड़ी तकलीफ होगी। वहां लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। कांग्रेस के वक्त संविधान की क्या स्थिति थी। अगर हमारे जैसे सोचते तो जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान लागू करने से क्यों रुके रहे? शशिजी (शशि थरूर), आप तो जम्मू-कश्मीर के दामाद थे। वहां की बेटियों को अधिकार क्यों नहीं दिलाया? किसी सांसद को तो कश्मीर में केवल जमीन दिखती है। यह उनकी दरिद्रता का परिचय कराता है। कश्मीर की पहचान कभी बम, बंदूक और अलगाववाद हो गई थी। 19 जनवरी 1990 को कुछ लोगों ने कश्मीर की पहचान को दफना दिया था। कश्मीर की पहचान सूफी परंपरा और सभी परंपराओं को सम्मान देने की है।’’
8. संविधान
कांग्रेस का मंत्र होना चाहिए- संविधान बचाओ। आपको इसे दिन में 100 बार बोलना चाहिए। आपातकाल के दौरान आपको संविधान याद नहीं आया था। जिन्होंने बार-बार संविधान में बदलाव किया, राज्य सरकारों को बर्खास्त किया, उन्हें तो संविधान बोलने की जरूरत है। संसद में पास प्रस्ताव को कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़ दे तो उन्हें बार-बार संविधान बोलना ही पड़ेगा। पीएम और पीएमओ के ऊपर रहने वालों को संविधान का महत्व समझने की जरूरत है। कांग्रेस अगर संविधान का महत्व समझती तो ऐसी हालत ऐसी न होती। संविधान बचाने के नाम पर देश और दिल्ली में क्या हो रहा है। इसे देश देख रहा और समझ भी रहा है। सुप्रीम कोर्ट बार-बार कह चुका है कि आंदोलन ऐसे न हों, जिनसे लोगों को परेशानी हो। लेफ्ट और कांग्रेस के लोग वहां जाकर लोगों को भाषण देकर उकसा रहे हैं।
9. सीएए
कुछ लोग रह रहे हैं कि सीएए लाने की जल्दी क्या थी। सरकार भेदभाव कर रही है। हिंदु-मुस्लिम में बांटकर देश के टुकड़े करना चाहती है। ये वे लोग हैं, जो देश के टुकड़े-टुकड़े करने वालों के साथ फोटो खिंचवाते हैं। पाकिस्तान हमें तोड़ने की कई कोशिशें कर चुका है। ये दुखद है कि कुछ लोग पाकिस्तान के रवैये पर भरोसा कर रहे हैं। भारत छोड़ो आंदोलन का नारा देने वाले महापुरुष (खान अब्दुल गफ्फार खान) भारतीय थे, बाद में पाकिस्तानी बने। मुझे भी एक बार उनके पैर छूने का अवसर मिला था।
10. सिख दंगे
कांग्रेस की सोच रही है कि कोई मरे तो मरे। सीएए से भारत में किसी भी अल्पसंख्यक को कोई परेशानी नहीं होगी। क्या कांग्रेस को 1984 के दंगे याद हैं। क्या वहां रहने वाले हमारे सिख भाई अल्पसंख्यक नहीं थे। आपने आरोपियों को सजा नहीं दिलाई और इतना ही नहीं दंगा भड़काने के एक आरोपी को मुख्यमंत्री बना दिया। देश को कांग्रेस से जिम्मेदार विपक्ष की अपेक्षा थी, लेकिन वो गलत रास्ते पर चल पड़ी है। अगर राजस्थान और मध्यप्रदेश में आपकी सरकारें कोई प्रस्ताव पास करें और विरोध होता रहे ऐसे चल सकता है। आपने गलत किया है, इसीलिए वहां बैठे हो।
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