कैंसर का नाम आते ही सभी लोग चौंक जाते हैं, और अकसर मान कर बैठ जाते हैं कि अब इसका कोई इलाज नहीं है। इसका सब से बड़ा कारण है कि जब तक हमें कैंसर की बीमारी के बारे में पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि समय से इलाज शुरू कर दिया जाए तो कैंसर का इलाज संभव है।
आमजन को आसान भाषा में कैंसर के विभिन्न प्रकारों, उससे बचाव तथा इलाज के बारे में जानकारी देने के लिए हमारा गाज़ियाबाद की टीम एक विशेष लेखमाला प्रस्तुत कर रही है जिसमें हम कैंसर विशेषज्ञों से एकत्र जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे। इस लेखमाला की शुरुआत हम मुंह के कैंसर से कर रहे हैं। यह लेख एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ डॉ. ऋषि कुमार गुप्ता से हुई बातचीत पर आधारित है।
भारत में और विशेषकर हिन्दी भाषी क्षेत्रों में मुंह के कैंसर के मामले अधिक संख्या में पाए जाते हैं। इसके पीछे कारण है कि इस क्षेत्र के लोग गुटखा, पान मसाला आदि का अधिक सेवन करते हैं। वहीं, हमें इस बात को भी समझना चाहिए कि सिर्फ पान मसाला, गुटखा खाने वालों को ही मुंह का कैंसर होता है तो आपकी यह धारणा गलत है। मुंह का कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। आइए समझते हैं ओरल कैंसर के बारे में –
कैंसर जब मुंह अर्थात ओरल कैविटी के किसी भी भाग में कैंसर होता है तो इसे ओरल कैंसर कहा जाता है। ओरल कैविटी में होंठ, गाल, लार ग्रंथिया, कोमल व हार्ड तालू, यूवुला, मसूडों, टॉन्सिल, जीभ और जीभ के अंदर का हिस्सा आते हैं। इस कैंसर के होने का कारण मुंह के भागों में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होती है। मुंह का कैंसर होने का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है। मुंह का कैंसर सबसे ज्यादा पुरुषों में पाया जाता है इसका मुख्य कारण पान मसाला तंबाकू बीड़ी सिगरेट, एल्कोहल का प्रयोग करना है।
क्या आप जानते हैं कि तबाकू में करीब पांच सौ तरीके के हानिकारक तत्व होते हैं जिनमें से 50 ऐसे हैं जिन्हें हम कार्सिनोजन है। मुंह का कैंसर शुरुआत में दर्द रहित होता है जिसकी वजह से इसे पहचाने में देर हो जाती है इसके लिए अपने दांत के लिए सचेत रहें। जर्नल ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च के अनुसार भारत में हर एक लाख लाख की आबादी में हर बीसवाँ आदमी मुंह के कैंसर से ग्रस्त है, जिसमें 30 प्रतशित आबादी सब तरह के कैंसर से पीड़ित है। कैंसर की वजह से भारत में हर एक घंटे में पांच से ज़्यादा व्यक्ति की मौत हो जाती है। भारत में कहीं कैंसर पंजीकृत नहीं होता है इसलिए इससे ग्रस्त मामले ओर भी ज़्यादा हो सकते है। 2018 के आँकड़ों के मुताबिक़ भारत में मुंह का कैंसर से 73368 महिलाएं और 95734 पुरुष ग्रस्त हैं। मुंह का कैंसर ज़्यादातर 50-70 उम्र में होता है, लेकिन यह 10 वर्ष के बच्चे को भी हो सकता है। हर तरह की उम्र को देखते हुए ये सबसे ज्यादा आदमियों को प्रभावित करता है। सबसे ज़्यादा कैंसर दक्षिण भारत की महिलाओं देखा जा सकता है क्योंकि वो तम्बाकू बहुत चबाती है।
मुंह के कैंसर का अधिक खतरा –
आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि मुंह का कैंसर से वही लोग पीड़ित होते हैं, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इसके अलावा जो लोग सही से मुंह की सफाई न करते हैं और मुंह में होने वाली समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं, ऐसे लोगों में मुंह का कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है। वहीं, इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि मुंह के कैंसर का का सबसे ज्यादा खतरा तंबाकू या उससे जुड़ी चीजें आदि खाने वालों को होता है।
कैसे होता है मुंह का कैंसर-
- स्मोकिंग-सिगरेट, सिगार, हुक्का, इन तीनों चीज़ों के आदी लोगों को एक नॉनस्मोकर के मुकाबले माउथ कैंसर होने का 6 फीसदी ज्यादा खतरा होता है।
- कैंसर होने का खतरा तंबाकू सूंघने, खाने या चबाने वाले लोगों को उनकी तुलना में 50 फीसदी ज्यादा होता है, जो तंबाकू यूज़ नहीं करते। मुंह का कैंसर आम तौर पर गाल, मसूड़ों और होंठों में होते हैं।
- शराब पीने वालों को मुंह का कैंसर होने का खतरा बाकी लोगों से 6 फीसद ज्यादा होता है।
- हिस्ट्री-जिन लोगों के परिवार में पहले किसी को मुंह का कैंसर रहा हो, ऐसे लोगों को इस कैंसर का ज्यादा खतरा होता है।
- मुंह के कैंसर के कई कारण जैसे, तम्बाकू (तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला, पान, गुटखा) व शराब का अधिक तथा ओरल सेक्स व मुंह की साफ-सफाई ठीक से न करना आदि हैं। इसकी पहचान के लिये डॉक्टर होठों, ओरल कैविटी, फारनेक्स (मुंह के पीछे, चेहरा और गर्दन) में शारीरिक जांच कर किसी प्रकार की सूजन, धब्बे वाले टिश्यू व घाव आदि की जांच करता है।
मुंह के कैंसर की पहचान –
- कैंसर की शुरुआत में मुंह के अंदर सफेद छाले या छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं। वहीं, इन पर समय से ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चलकर मुंह का कैंसर बन जाता है।
- मुंह से दुर्गंध आना, आवाज में बदलाव होना, कुछ निगलने में तकलीफ होना आदि मुंह के कैंसर के लक्षण होते हैं। मुंह का कैंसर मुंह के अंदर कहीं भी हो सकता है।
- मुंह में घाव होना, सूजन होना, लार में खून निकलना, जलन होना, सुन्नता होना, मुंह में दर्द होना आदि मुंह के कैंसर होने की इशारा करते हैं।
- मुंह के अंदर कहीं पर भी गांठ महसूस होना मुंह कैंसर होने की आशंका होती है। इसके अलावा मुंह के अंदर कोई भी रंग परिवर्तन दिखे तो कैंसर की जांच करा लें।
मुंह के कैंसर के लक्षण –
- बिना किसी कारण नियमित बुखार आना।
- थकान होना, सामान्य गतिविध करने से थक जाना।
- गर्दन में किसी प्रकार की गांठ का होना।
- बिना कारण वजन का कम होना।
- मुंह में हो रहे छाले या घाव जो कि भर ना रहे हों।
- जबड़ों से रक्त का आना या जबड़ों में सूजन होना।
- मुंह का कोई ऐसा क्षेत्र जिसका रंग बदल रहा हो।
- गालों में लम्बे समय तक रहने वाली गांठ।
- बिना किसी कारण लम्बे समय तक गले में सूजन होना।
- मरीज की आवाज में बदलाव होना।
- चबाने या निगलने में परेशानी होना।
- जबड़े या होठों को घुमाने में परेशानी होना।
- अनायास ही दांतों का गिरना।
- दांत या जबड़ों के आसपास तेज दर्द होना।
- मुंह में किसी प्रकार की जलन या दर्द।
- ऐसा महसूस करना कि आपके गले में कुछ फंसा हुआ है।
उपचार –
कोई भी जख्म या अल्सर आदि मिलने पर उसकी बायोप्सी की जाती है, इसके बाद एंडोस्कोपिक जांच, इमेजिंग इन्वेस्टिगेशन्स (कम्प्यूटिड टोमोग्राफी अर्थात सीटी), मैगनेटिक रिसोनेन्स इमेजिंग (एमआरआई) और अल्ट्रासोनोग्राफी आदि की मदद से कैंसर की स्टेजेज का पता लगाया जाता है। इसका उपचार हर मरीज के लिए अलग हो सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान –
- मुंह के कैंसर से बचना है तो जितनी जल्दी हो सके धूम्रपान एवं नशे से दूरी बना लेनी चाहिए।
- नियमित दांतों और मुंह की अच्छी तरह सफाई करने से मुंह के कैंसर से बचा जा सकता है।
- जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, डिब्बा बन्द चीजों को कम से कम खाएं। इसके साथ ही ताजे मौसमी फल, सब्जी, सलाद अवश्य खाएं।
- मुंह के अंदर किसी भी प्रकार का बदलाव दिखे या फिर मुंह में होने वाली समस्या सही न हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
डॉ. ऋषि कुमार गुप्ता मेरठ रोड स्थित श्री जगन्नाथ धर्मार्थ कैंसर अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर हैं। यह अस्पताल एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ धर्मार्थ कैंसर अस्पताल है जहां हर दिन सैंकड़ों मरीज बहुत कम खर्च में कैंसर का इलाज पा रहे हैं।
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