मंगलवार को गाज़ियाबाद जिले की कमान 3 घंटे तक सांकेतिक तौर पर 9 बालिकाओं के हाथ में रही। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत जिले की बेटियों को डीएम, एसएसपी, जीडीए वीसी व सीडीओ समेत अन्य अफसरों के पदों पर बैठाया गया। तीन घंटे तक बेटियों ने फरियादियों की समस्याएं सुनी और प्रशासनिक सिस्टम को समझा।
जिला प्रशासन ने आइएएस व आइपीएस समेत अन्य उच्चाधिकारी बनने की इच्छा रखने वाले बेटियों को प्रेरित करने के लिए यह पहल शुरू की गई है। सीडीओ अस्मिता ने बताया कि बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत जनपद के सरकारी स्कूल की बेटियों को आइएएस और आइपीएस समेत अन्य उच्चाधिकारी बनाने की पहल शुरू की है। सोमवार को शहरी क्षेत्र के जीजीआइसी स्कूल में छात्राओं की काउंसलिग की गई। तेज तर्रार कक्षा दस से 12वी कीं 23 छात्राओं का चयन किया गया। दूसरे चरण में 23 छात्राओं का साक्षात्कार कर दस छात्राओं को चयनित किया गया।
तीन घंटे के लिए साक्षी को डीएम, सना को सीडीओ, कशिश को जीडीए वीसी, खुशी व मोहिनी को एसपी देहात, अकांक्षा को सीएमएस एमएमजी अस्पताल, सिमरन को एसीएमओ संजयनगर संयुक्त अस्पताल, योगिता को भागीरथ स्कूल की प्रधानाचार्या का पद सौंपा गया। बेटियों ने तीन घंटे तक अफसरों के पद पर फरियादियों की समस्याएं सुनी।
डीएम बनी साक्षी प्रशासन के तमाम कामकाज को समझा। इस दौरान जब पिता डीएम के दफ्तर पहुंचे तो बेटी के आंसू खुशी से छलक पड़े। डीएम ने आइएएस बनने के लिए मार्गदशर्न किया। छात्रा ने पोषण विकास मिशन के तहत एक विभागीय बैठक भी ली। बैठक में अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए। वहीं, छात्रा खुशी और मोहिनी ने जनसुनवाई के दौरान एसपी देहात के साथ रहीं। अलग-अलग तरह के आने वाले शिकायतकर्ताओं की बात सुनी। इस दौरान कई महिला पुलिसकर्मी भी छुट्टी के लिए आई, छात्राओं ने महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी और परिवार की बीच की परेशानी को जाना। एसपी देहात नीरज कुमार जादौन ने कई बीपीओ (बीट पुलिस ऑफिसर)को भी बुलाया था। छात्राओं ने उनकी नौकरी के संबंध में बात की।
कशिश ने जीडीए वीसी से जनपद के होने वाले तमाम विकास कार्यों की जानकारी ली। छात्रा को लखनऊ से होने वाली वीडियों कांफ्रेंसिग के बारे में जाना। अकांक्षा व राशि ने सीएमएस के पद से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली। दोनों छात्राओं को बताया कि अस्पताल का स्टाफ कैसे काम करता है? विभाग का शासन से तालमेल की जानकारी दी गई। सिमरन ने भी एसीएमओ के पद से होने वाले कार्यों को समझा। छात्रा को डिजिटल एक्सरे, ओटी आदि की जानकारी दी गई। योगिता दिव्यांगों को शिक्षा देने वाली शिक्षिका बनना चाहती थी। लिहाजा उसे दिव्यांगों के भागीरथ स्कूल में भेजा गया। छात्रा ने दिव्यांगों को पढ़ाई जाने वाली भाषा को गहनता से समझा।
सीडीओ बनी छात्रा सना ने जिम्मेदारी न निभाने वाले अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। छात्रा ने कहा उसकी कक्षा में उसकी दोस्त आरजू दिव्यांग है। वह दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रही है। मगर उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। छात्रा ने जांच कर दोस्त का प्रमाण पत्र बनाने का आदेश दिया। साथ ही अधिकारियों को चेतावनी दी गई कि वह यदि समय पर उसका प्रमाण पत्र नहीं बनाते हैं तो कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उसने अपनी दिव्यांग दोस्त का नाम, मोबाइल नंबर और पता लिखकर अधिकारी को दिया। सीडीओ अस्मिता लाल ने उनकी मदद की भावना को खूब सराहना। अंत में छात्राओं को एक-एक पौधा भेंट किया गया।
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