उत्तर प्रदेश में रह रहे शरणार्थियों की पहचान का काम नागरिक संशोधन कानून की अधिसूचना जारी होने के साथ ही तेज हो गया है। प्रदेश के जिलों-जिलों में जिलाधिकारी ऐसे लोगों की पहचान कर रहे हैं और रिपोर्ट शासन के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जा रही है। फिलहाल प्रदेश में अब तक 32 हजार शरणार्थियों की पहचान हुई है। माना जा रहा है कि सभी जिलों से रिपोर्ट आने के बाद यह संख्या एक लाख के करीब पहुंच सकती है।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता एवं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत प्रदेश के 21 जिलों से अब तक 32 हजार शरणार्थी चिह्नित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि सीएए को लेकर केंद्र सरकार की अधिसूचना जारी होने के साथ प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि सीएए के तहत नागरिकता के लिए पात्र शरणार्थियों को चिह्नित करते हुए उनकी सूची बनाई जाए। सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध व पारसी धर्म के उन नागरिकों को भारत की नागरिकता दी जानी है, जो वर्षों से भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं।
अल्पसंख्यक होने की वजह से वे अपने देश में प्रताड़ित हो रहे थे। अब तक सर्वे से यह जानकारी सामने आ रही है कि ज्यादातर शरणार्थी पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हैं। इनमें हिन्दू व सिख धर्म के नागरिकों की संख्या ज्यादा है। अब तक सबसे ज्यादा 21 हजार शरणार्थी पीलीभीत में मिले हैं। सभी जिलों से रिपोर्ट आने के बाद माना जा रहा है कि यह संख्या एक लाख से ऊपर पहुंच सकती है।
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