नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देश के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों व अभियंताओं के साथ प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियंता भी आठ जनवरी को कार्य बहिष्कार करेंगे।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि निजीकरण के विरोध के अलावा बिजली निगमों के एकीकरण, पुरानी पेंशन बहाली और वेतन विसंगति की मुख्य मांगों के प्रति केन्द्र व राज्य सरकार के ध्यानाकर्षण के लिए कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि कार्य बहिष्कार आंदोलन से बड़े उत्पादन गृहों, 400 व 765 के वी पारेषण व सिस्टम ऑपरेशन की शिफ्ट के कर्मचारियों को अलग रखा गया है जिससे बिजली का ग्रिड पूरी तरह फेल न हो आम लोगों को तकलीफ न हो।
कार्य बहिष्कार के दौरान राजधानी में शक्ति भवन पर 11 बजे से विरोध सभा आयोजित की गई है, जिसमे लखनऊ के सभी कार्यालयों के कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियंता शामिल होंगे। कार्य बहिष्कार के दौरान बिजली कर्मचारी कोई कार्य नहीं करेंगे। कोई फाल्ट होने पर उसे कार्य बहिष्कार के बाद ही दुरुस्त किया जाएगा।
वहीं यूपी पावर आफिसर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को फील्ड हॉस्टल में प्रांतीय कार्यसमिति की बैठक की। इस दौरान सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि निजीकरण के विरोध में दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता हमेशा आगे रहेंगे, लेकिन आठ जनवरी के कार्य बहिष्कार में शामिल नहीं होंगे। एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि संगठन के सभी सदस्य पूर्व की भांति कार्य जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि निजीकरण के विरोध में एक प्रस्ताव पास कर केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को भेज देंगे। यदि प्रस्ताव पर विचार न किया गया तो आगे की रणनीति तय की जायेगी।
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