वर्ष 2019 के अंतिम दिन मंगलवार को मोदीनगर में दिल्ली-मेरठ हाइवे पर एक बार फिर से जाम लग गया। जल निगम की लापरवाही के कारण सारा दिन लोगों को पाँच किलोमीटर की दूरी घंटों में तय करनी पड़ी। इतना ही नहीं, मुरादनगर में भी चार किलोमीटर तक वाहनों की कतार लगी रही। राहगीरों को घंटों जाम में फंसकर दो चार होना पड़ा। इसके बावजूद पुलिस ने कहीं भी व्यवस्था को बनाने की जहमत नहीं उठाई।
दरअसल पिछले कई सालों से दिल्ली-मेरठ हाईवे के किनारे जल निगम द्वारा सीवरेज पाइपलाइन डाले जाने का काम चल रहा है। निर्माण सामग्री के साथ मशीनरी सड़क पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर फैली हुई है। जिससे सड़क की चौड़ाई कम हो गई है। काम की गति इतनी धीमी है कि आने वाले छह माह में भी हालात में कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। इसके बावजूद जल निगम के चिम्मेदार अधिकारियों ने पूरी तरह अपनी आंखें बंद कर ली हैं और राहगीर रोजाना जाम में फंसकर मुसीबत झेलने को मजबूर हैं।
यह स्थिति तब है कि जब दिल्ली मेरठ हाईवे पर शासन प्रशासन के तमाम छोटे बड़े नेता और अधिकारी गुजरते रहते हैं, लेकिन किसी भी स्तर से ऐसी कोई कोशिश नहीं हो रही, जिससे सीवरेज के काम में तेजी आए और लोगों को ही जाम से राहत मिल जाए। पिछले छह दिन की तरह मंगलवार को भी दिन निकलते ही हाईवे पर वाहनों की गति थम गई। गाजियाबाद से मेरठ की तरफ वाहनों की कतारें सौंदा रोड से लेकर सीकरी कलां गांव तक, जबकि मेरठ से गाजियाबाद की ओर बस अडडे से लेकर गोविदपुरी तक वाहनों की कतारें पहुंची गईं थीं। लोगों को यह दूरी को तय करने में एक घंटे का समय लग गया। उधर, मुरादनगर में भी राहगीरों को रावली रोड से लेकर असालतनगर तक दोनों तरफ भीषण जाम से दो चार होना पड़ा। लोगों को जाम से निकलने में आधे घंटे का समय गंवाना पड़ा। वहीं, दुहाई में मेरठ रोड पर भी लोगों की करीब तीन किलोमीटर की दूरी में जाम से दो चार होना पड़ा।
दिल्ली-मेरठ हाईवे के जाम में फंसकर कई मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ चुके हैं। यह एक दो बार नहीं, कई बार हो चुका है। हार्न बजाती एंबुलेंस को रास्ता नहीं मिलने से तीमारदारों की भी कम फजीहत नहीं होती।
जहां तक पुलिस का सवाल है तो जब कोई वीआइपी हाईवे से गुजरता है पुलिस तभी सक्रिय होती है। अन्यथा हाईवे पर लगने वाले जाम से मोदीनगर या मुरादनगर थाने की पुलिस का कोई लेना देना नहीं है। सामान्य स्थिति में लगने वाले जाम को सुचारु कराने के लिए दोनों थाने की पुलिस कहीं भी व्यवस्था को बनाने के लिए दिखाई नहीं देती।
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