सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक चर्च ब्लास्ट केस के दोषी को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। इससे पहले दिसंबर 2014 में दिए आदेश में कर्नाटक हाईकोर्ट ने दोषियों को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल भटके हुए मुस्लिम युवा करार दिया था। हाईकोर्ट ने दोषी इजहार बेग समेत 8 लोगों को जून और जुलाई 2000 में राज्य में सिलसिलेवार धमाकों का दोषी ठहराया था। कोर्ट ने 8 दोषियों को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
सजा सुनाते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि इन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा से समाज में मौजूद ऐसे भटके हुए लोगों की आंखें खुलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने बेग को एक महीने की अंतरिम जमानत मंजूर करते हुए कहा कि अपराध की गंभीरता और आरोपियों के अधिकारों के बीच संतुलन बना रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बेग 19 साल से ज्यादा समय से जेल में है। उसकी 70 साल की मां हैं, जो मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर उन्हें कई बीमारियां हैं। इसलिए हम इजहार बेग को एक महीने की अंतरिम जमानत मंजूर कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बेग को रोज हैदराबाद के आसिफनगर पुलिस थाने में हाजिरी लगाने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा गया है कि बेग कोर्ट की अनुमति के बिना हैदराबाद से बाहर नहीं जाएगा। कर्नाटक हाईकोर्ट ने दिसंबर 2014 में दिए फैसले में कहा था कि दोषियों ने सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने की कोशिश कर घृणित अपराध किया है। उनकी इस हरकत को माफ नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे भटके हुए क्रूर मानसिकता वाले मुस्लिम समुदाय के युवाओं को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से दूर रखने के लिए सख्त संदेश देना जरूरी है। ऐसे युवा पूरे समुदाय का नाम खराब कर रहे हैं।
भटके हुए युवाओं को मुख्य धारा में लाने के लिए काम करने की है जरूरत
हाईकोर्ट ने कहा था कि भारत और कर्नाटक सभी धर्मों के लोगों के लिए है। ये सजा काल्पनिक दुनिया में जी रहे युवाओं के बीच सख्त संदेश देगी। साथ ही उन लोगों की भी आंखें खोलेंगी, जो भारत का इस्लामीकरण करने के विचार को लेकर चल रहे हैं। ऐसी सख्त सजा समय की मांग है। जरूरी है कि ऐसे भटके हुए और क्रूर प्रवृत्ति के युवाओं को मुख्य धारा में लाने पर काम किया जाए।
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