गाज़ियाबाद में वायु प्रदूषण कम करने के लिए जरूरी उपायों पर फौरन काम करने के मेरठ कमिश्नर के आदेश पर गाजियाबाद रोडवेज ने कदम उठाना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में गाजियाबाद रीजन ने प्रदेश के अन्य जिलों की 10 साल से ज्यादा पुरानी रोडवेज बसों को दिल्ली-एनसीआर में न आने देने का फैसला लिया है। इस संबंध में सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों को पत्र लिखा गया है।
गाजियाबाद के क्षेत्रीय प्रबंधक ए.के. सिंह ने बताया कि परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधकों से कहा गया है कि एनजीटी के आदेश के मद्देनजर वे 10 साल से ज्यादा चल चुकी बसों को यहां न भेजें। अगर किसी रीजन से बस आती है तो उसे आरटीओ विभाग उसे जब्त कर लेगा। उन्होंने बताया कि गाजियाबाद में रोडवेज की अधिकतर बसें सीएनजी में बदली जा रही हैं। अनुबंधित बसों को भी धीरे-धीरे इस प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है।
प्रेशर हॉर्न लगा मिला तो ₹2 हज़ार का चालान
क्षेत्रीय प्रबंधक ने बताया कि एनसीआर में प्रेशर हॉर्न पर रोक है। इसे देखते हुए निर्देश दिए गए हैं कि रोडवेज की बसों में प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल न करें। किसी बस में प्रेशर हॉर्न मिलने पर पहली बार में 2 हजार और दूसरी बार में 5 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। साथ ही बसों में प्रदूषण और फिटनेस प्रमाण पत्र जरूर हो।
आपको बता दें कि एनजीटी के आदेश पर अमल करवाने के लिए मंडलायुक्त ने 20 दिसंबर को मेरठ में बैठक की थी। इसमें गाजियाबाद डीएम को आदेशों पर जल्द कार्रवाई करने के लिए कहा गया। बैठक में शामिल कारवां प्रेजिडेंट विनय मित्तल ने बताया कि मंडलायुक्त अनीता सी मेश्राम ने डीएम को कौशांबी के लिए जल्द एक्शन प्लान बनाने, ग्रीन बेल्ट में डंप हो रहे कूड़े को हटाने, डीजल बसों को कौशांबी के पास से हटाने और सड़कों पर अतिक्रमण व प्रदूषण फैला रहे दुकानदारों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
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