वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों की जांच के लिए बने नानावटी-मेहता आयोग ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी है। गुजरात विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि गोधरा ट्रेन जलाने के दंगे प्रायोजित नहीं किए गए थे। इसके अलावा आयोग ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उस दौरान की गुजरात सरकार को क्लीन चिट दे दी है।
आपको बता दें कि भीड़ ने एक मार्च 2002 को गुजरात के आणंद जिले के ओडे कस्बे के पीरवाली भगोल इलाके में एक घर में आग लगा दी थी। इस घटना में अल्पसंख्यक समुदाय के 23 सदस्य जिंदा जल गए थे । इसमें नौ महिलाएं और नौ ही बच्चे थे। गोधरा ट्रेन अग्निकांड के दो दिन बाद यह घटना हुई थी। अग्निकांड के कारण समूचे राज्य में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी।
इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा जहां गुजरात उच्च न्यायालय ने 2002 के ओडे दंगा मामले में 19 लोगों की दोष सिद्धि को बरकरार रखा लेकिन तीन लोगों को बरी कर दिया। ओडे में दंगे की इस घटना के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर की गयी याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति बी एन करिया की पीठ ने आज 14 अभियुक्तों को उम्रकैद के साथ ही पांच अन्य को सात साल जेल की सजा को कायम रखा।
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