गाज़ियाबाद के मुख्य नगर आयुक्त दिनेश चंद्र ने मंगलवार को कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्यालय में तैनात अपर नगर आयुक्त समेत तीन अधिकारियों का वेतन रोकने के आदेश पारित कर दिया है। इसके साथ ही अगले आदेश तक वेतन नहीं दिए जाने की बात भी कही है। उन्होंने यह कार्रवाई संपत्ति का समय से ब्योरा नहीं देने पर की है।
आपको बता दें कि नगर निगम के संपत्ति से जुड़े 17 केस इलाहाबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन है, जिनमें निगम के विधि विभाग को संपत्ति से जुड़ा ब्योरा तलब करना है, लेकिन संपत्ति से जुड़े अधिकारियों ने दो साल के भीतर भी इसकी जानकारी विधि विभाग को नहीं दी है।
नगर निगम सूत्रों जानकारी के अनुसार, मंगलवार सुबह नगर आयुक्त दिनेश चंद्र सिंह ने संपत्ति विभाग से जुड़ी कुछ फाइलों पर आदेश करने के लिए मंगाई। इस दौरान उन्हें
कई ऐसी फाइल मिली, जिनकी जानकारी अब तक हाईकोर्ट में नहीं जा सकी है और उन फाइल से संबंधित केस कोर्ट में अब तक विचाराधीन है, लेकिन फाइलों के जवाब तलब नहीं होने पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की। इसके बाद उन्होंने विधि विभाग के अधीक्षक विशाल गौरव को पत्र लिखा, जिनमें कहा कि वह कोर्ट में विचाराधीन 17 फाइलों में सामंजस्य बनाने का प्रयास करें।
इसके साथ ही संपत्ति विभाग के प्रभारी अपर नगर आयुक्त, संपत्ति अधीक्षक भोलानाथ गौतम और लिपिक प्रदीप के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका वेतन रोकने के आदेश दिए। आरोप है कि संपत्ति अधिकारियों को विधि विभाग द्वारा करीब 10 बार इसकी जानकारी मांगने के लिए पत्र लिखे जा चुके थे, लेकिन विभाग द्वारा एक बार भी इसकी जानकारी नहीं दी गई। वहीं, समय से जानकारी नहीं मिलने के कारण हाईकोर्ट में विचाराधीन केसों के निस्तारण में भी देरी हो रही है। उधर, नगर आयुक्त दिनेश चंद्र सिंह का कहना है कि संपत्ति का ब्योरा नहीं देने पर वेतन रोकने के आदेश दिए गए हैं।
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