गाज़ियाबाद। हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म की घटना के बाद मदद करने वाले लोगों से विश्वास उठ गया है। वैसे तो देश में महिलाओं को देवी का स्वरुप माना जाता है। दुर्गा, काली, लक्ष्मी और शक्ति के रूप में पूजा जाता है, लेकिन आज उनकी ही आबरू दांव पर लगी है।
गाज़ियाबाद में चेन छिनतई, लूट व चोरी की घटनाएं आम हो चुकी है। इनमें से अधिकांश घटनाएं बदमाशों द्वारा सुनसान व अंधेरी सड़कों पर अंजाम दिए जाते हैं। ऐसे में इन घटनाओं को नियंत्रित करने में लगे स्ट्रीट लाईट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए गाज़ियाबाद नगर निगम के एक महकमे की ज़िम्मेदारी शहर की स्ट्रीट लाइट्स को चाक चौबन्द और दुरुस्त रखना है। लेकिन निगम की लापरवाही के चलते आज कई महिलाओं की सुरक्षा दांव पर लगी है।
बुलंदशहर रोड इंडस्ट्रियल एरिया के अधिकांश सड़कों पर शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। यहाँ की ज्यादातर लाइटें पिछले कई महीनों से बंद पड़ी हैं। मुखर्जी पार्क चौराहे से लेकर डायमंड फ्लाईओवर तक लगी स्ट्रीट लाइटों में से लगभग सभी खराब हैं। स्थानीय लोगों ने जनसुनवाई के माध्यम से कई बार शिकायत की, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। जिससे यहाँ की फैट्रियों में काम करने आने वाले मजदूरों तथा महिला कर्मचारियों को जान माल का खतरा बना रहता है। उद्यमियों ने कई बार प्रशासन से मांग की थी कि खराब स्ट्रीट लाइट सही की जाए, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। गाज़ियाबाद का औद्योगिक क्षेत्र का देश के विकास में बड़ा योगदान रहता है। एक बड़ी रकम टैक्स के रूप में अदा करने वाले गाज़ियाबाद औद्योगिक क्षेत्र की हालत बेहद खराब है।
बता दें कि बीएसआर इंडस्ट्रियल एरिया में भारी तादाद में महिला कर्मचारी काम करती हैं। जहां अंधेरे के चलते शाम होते ही असामाजिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं। महिलाओं से छेड़छाड़ एवं लूटपाट की घटनाएं आम हो गई हैं। यहाँ के मजदूरों को जिस दिन वेतन मिलता है, तो उन्हें बदमाशों द्वारा उनके वेतन छीनने का डर बना रहता है। जबकि प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ है। इस संबंध में जब इस क्षेत्र में तैनात पुलिसकर्मियों से बात की तो उन्होंने भी लूटपाट और महिलाओं के साथ बढ़ती छेड़-छाड़ की घटनाओं का एक बड़ा कारण इलाके की सड़कों पर पसरा अंधेरा ही बताया।
एक ओर जहाँ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिला सुरक्षा व भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के दावे कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर निगम की लापरवाही से सड़क पर छाए अंधेरे में महिला सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन बलात्कार जैसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है? ऐसे में यदि महिलाओं के साथ कोई अनहोनी होती है तो जिम्मेदार कौन होगा ?
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